सार
उच्च न्यायालय ने चिन्मयानंद को जमानत देते हुए कहा था, “ दो पक्षों ने अपनी सीमाएं लांघी हैं और यह कहना मुश्किल है कि इसमें किसने किसका शोषण किया है। वास्तव में दोनों ने एक-दूसरे का इस्तेमाल किया है।’’
नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने यौन उत्पीड़न मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चिन्मयानंद को जमानत देने वाले आदेश में कारण दिए थे और इसलिए इसमें किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। हालांकि, पीठ ने चिन्मयानंद के खिलाफ चल रहे मामले को दिल्ली की अदालत को सौंपने संबंधी एक अन्य याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया।
दोनों पक्षों ने अपनी सीमाएं लांघ दीं
उच्च न्यायालय ने तीन फरवरी को चिन्मयानंद को जमानत दे दी थी, जिसे यौन उत्पीड़न के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में चिन्मयानंद के ट्रस्ट द्वारा संचालित कॉलेज में विधि की छात्रा ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उच्च न्यायालय ने चिन्मयानंद को जमानत देते हुए कहा था, “ दो पक्षों ने अपनी सीमाएं लांघी हैं और यह कहना मुश्किल है कि इसमें किसने किसका शोषण किया है। वास्तव में दोनों ने एक-दूसरे का इस्तेमाल किया है।’’
ये है मामला?
चिन्मयानंद के ट्रस्ट द्वारा संचालित शाहजहांपुर विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा ने ही उन पर महीनों तक यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। नेता को बलात्कार (376-सी) के आरोप में 20 सितंबर, 2019 को गिरफ्तार किया गया था।
क्या है धारा 376-सी
धारा 376-सी उस मामले में लागू होती है जब आधिकारिक रूप से शक्तिशाली पद पर बैठा कोई व्यक्ति अपने अधिकार का दुरुपयोग कर महिला को अपने साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता है। इसी से जुड़े एक अन्य मामले में यौन शोषण पीड़िता पर आरोप है कि उसने चिन्मयानंद से रुपयों की वसूली करने का प्रयास किया था। उच्च न्यायालय ने छात्रा को चार दिसंबर, 2019 को जमानत दे दी थी।
ऐसे चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया गया था
तेईस साल की छात्रा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाला एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद पिछले साल अगस्त में कुछ दिनों के लिए लापता हो गई थी। इसके बाद उच्चतम न्यायलय ने मामले में दखल दिया था। शीर्ष अदालत के निर्देश पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक विशेष जांच दल गठित किया था। उसने चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया था।
एसआईटी ने एक शिकायत के बाद छात्रा को भी गिरफ्तार किया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि छात्रा और उसके दोस्त ने चिन्मयानंद से पांच करोड़ रुपये की उगाही करने की कोशिश की थी और आपत्तिजनक वीडियो को सार्वजनिक करने की धमकी दी।
(ये खबर न्यूज एजेंसी भाषा की है, एशियानेट ने सिर्फ इसकी हैडालाइन में बदलाव किया है।)