सार

देश में कोरोना वैक्सीन के उत्पादन को लेकर चल रही कोशिशों के बीच एक नई खबर आई है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI)से रूस की वैक्सीन स्पुतनिक-V के भारत में निर्माण की अनुमति मांगी है। अभी यह वैक्सीन हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड बना रही है। इस वैक्सीन के लिए अपोलो अस्पताल से अनुबंध किया गया है। बता दें कि स्पुतनिक-V अब तक 66 देशों में रजिस्टर्ड है। इसे 12 अप्रैल को भारत से अप्रूवल मिला था।

नई दिल्ली. रूस की कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-V से जुड़ी एक नई खबर है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI)से रूस की वैक्सीन स्पुतनिक-V के भारत में निर्माण की अनुमति मांगी है। अभी यह वैक्सीन हैदराबाद स्थित  डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड बना रही है। यह जानकारी न्यूज एजेंसी PTI ने दी है। बता दें कि स्पुतनिक-V 66 देशों में रजिस्टर्ड है। इसे 12 अप्रैल को भारत से अप्रूवल मिला था।

सीरम ने क्षतिपूर्ति या मुआवजे के दावों से मांगी कानूनी सुरक्षा
सीरम इंस्टीट्यूट ने केंद्र सरकार से वैक्सीन से जुड़ी प्रतिकूल घटनाओं(रियेक्शन आदि) के मामले में किसी भी क्षतिपूर्ति या मुआवजे के दावों से कानूनी सुरक्षा की मांग की है। समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, केंद्र सरकार फाइज़र और मॉडर्ना जैसी विदेशी कंपनियों को यह संरक्षण दे सकती है। ऐसे में सीरम ने भी मांग उठाई है।  सीरम यह पहले ही कह चुका है कि वो जून में भारत को कोविशील्ड की 10 करोड़ डोज उपलब्ध करा देगा। सीरम एक और वैक्सीन नोवावैक्स का भी निर्माण कर ही है। इसे अभी अमेरिका से नियामक मंजूरी मिलना बाकी है। इधर, मंगवार को स्पुतनिक-V की 30 लाख डोज हैदराबाद स्थित राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचीं। इसे अब तक की सबसे बड़ी खेप बताया गया है।

अपोलो के साथ किया है डॉ. लैबोरेटरीज ने करार
अपोलो अस्पताल की ज्वाइंट डायरेक्टर संगीता रेड्डी ने बताया कि रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-V लगवाने के इच्छुक लोग अब कोविन एप के जरिये रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। पिछले दिनों वैक्सीन की कोविन एप पर एंट्री हो गई है। इस वैक्सीन के लिए डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने अपोलो अस्पताल से एग्रीमेंट किया है। इस वैक्सीन का एक डोज 1250 रुपए में पड़ेगा। 

स्पुतनिक-V को इन देशों में इमरजेंसी अप्रूवल मिला
भारत के अलावा इस वैक्सीन को पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश के साथ ही तुर्की, चिली और अल्बानिया, रूस, बेलारूस, अर्जेंटीना, बोलीविया, सर्बिया, अल्जीरिया, फिलिस्तीन, वेनेजुएला, पैराग्वे, तुर्कमेनिस्तान, हंगरी, यूएई, ईरान, रिपब्लिक ऑफ गिनी, ट्यूनीशिया, आर्मेनिया, मैक्सिको, निकारागुआ, रिपब्लिका श्रीपस्का, लेबनान, म्यांमार, पाकिस्तान, मंगोलिया, बहरीन, मोंटेनेग्रो, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, गैबॉन, सैन-मेरिनो, घाना, सीरिया, किर्गिस्तान, गुयाना, मिस्र, होरासुर, ग्वाटेमाला, मोल्दोवा, स्लोवाकिया, अंगोला, कांगो गणराज्य , जिबूती, श्रीलंका, लाओस, इराक, उत्तरी मैसेडोनिया, केन्या, मोरक्को, जॉर्डन, नामीबिया, अजरबैजान, फिलीपींस, कैमरून, सेशेल्स, मॉरीशस, वियतनाम, एंटीगुआ और बारबुडा, माली और पनामा सहित 66 देशों में इमरजेंसी अप्रूवल मिल चुका है।

1 मई से वैक्सीनेशन का महाअभियान
कोरोना संक्रमण से लोगों की सुरक्षा के लिए 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू किया गया है। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चल रहा है। 

रामबाण साबित हो सकती है स्पुतनिक-V 
भारत में रूस के उप राजदूत रोमन बाबुश्किन के अनुसार, भारत द्वारा स्पूतनिक वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल देकर दोनों देशों के बीच स्पेशल पार्टनरशिप के नए दरवाजे खोले हैं।  रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड(RDIF) एजेंसी के अनुसार, स्पूतनिक वी कोरोना वैक्सीन को परमिशन देने वाला भारत 60वां देश है। RDIFके सीईओ किरिल दिमित्रेव  (Kirill Dmitriev) ने कहा कि भारत में इस वैक्सीन की हर साल 850 मिलियन डोज बनने जा रही हैं। यह दुनियाभर के करीब 425 मिलियन लोगों के लिए पर्याप्त हैं। इस वैक्सीन के लिए 10 देशों के बीच पार्टनरशिप हुई है। 

कहा जा रहा है कि यह वैक्सीन भारत बायोटेक की Covaxin और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की Covishield से ज्यादा असरदार है। ऐसे में इस वैक्सीन से नतीजे और बेहतर मिल सकते हैं।  इसके अलावा  Sputnik V वैक्सीन की खास बात ये है कि इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच स्‍टोर किया जा सकता है। इसी तरह कोविशील्ड और कोवैक्सिन को स्टोर करना भी आसान और सुविधाजनक है। Sputnik की भी दो डोज देनी पड़ेंगी। 

क्या होता है इमरजेंसी अप्रूवल?
वैक्सीन, दवाओं, डायग्नोस्टिक टेस्ट्स और मेडिकल डिवाइसेज के लिए इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन लिया जाता है। भारत में इसके लिए सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) रेगुलेटरी बॉडी है। CDSCO वैक्सीन और दवाओं के लिए उनकी सेफ्टी और असर के आकलन के बाद ऐसा अप्रूवल देता है।

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