सार
मराठा क्षत्रप शरद पवार ने कहा कि जो कुछ हुआ वह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की समाज की अवधारणा के ठीक उलट है।
New Parliament building inauguration: नई संसद का उद्घाटन रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। पूरे विधि-विधान के साथ पूजा कर नए संसद भवन का उद्घाटन करने के साथ लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास सेंगोल को स्थापित किया गया। पीएम द्वारा किए गए इस उद्घाटन का कांग्रेस सहित 21 राजनीतिक पार्टियों ने बहिष्कार किया था। विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन कराने की मांग की थी। उद्घाटन समारोह के बहिष्कार में शामिल देश के सीनियर लीडर व एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि वह नए संसद भवन के उद्घाटन को देखकर खुश नहीं हैं। जो कुछ भी हुआ उससे चिंतित हूं। यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं।
नेहरू के समाज की अवधारणा के ठीक उलट संसद में हुआ
मराठा क्षत्रप शरद पवार ने कहा कि जो कुछ हुआ वह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की समाज की अवधारणा के ठीक उलट है। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन में जो हो रहा है, वह पं. नेहरू की आधुनिक विज्ञान पर आधारित समाज बनाने की अवधारणा के ठीक उलट है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को आमंत्रित करना सरकार की जिम्मेदारी है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मौजूद थे, लेकिन राज्यसभा का सभापति जगदीप धनखड़ नहीं थे। इसलिए पूरा कार्यक्रम ऐसा लग रहा है जैसे यह सीमित लोगों के लिए था।
शरद पवार ने उद्घाटन संपन्न होने के बाद दिया बयान
शरद पवार का बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने के बाद आया है। पवार ने कहा कि मैंने सुबह कार्यक्रम देखा। मुझे खुशी है कि मैं वहां नहीं गया। वहां जो कुछ भी हुआ उसे देखकर मैं चिंतित हूं। क्या हम देश को पीछे की ओर ले जा रहे हैं? क्या यह कार्यक्रम केवल सीमित लोगों के लिए था? शरद पवार ने उद्घाटन समारोह में हवन, बहुधार्मिक प्रार्थना और 'सेंगोल' के साथ नई संसद के उद्घाटन पर अपनी टिप्पणी की।
विपक्ष के साथ कोई बात नहीं हुई...
पवार ने आगे कहा कि पुरानी संसद के साथ लोगों का विशेष संबंध है। इसका सदस्य होने के नाते भी लगाव रहा है लेकिन विपक्ष के साथ नई संसद के बारे में कुछ भी चर्चा नहीं हुई। बेहतर होता अगर हर कोई इसमें शामिल होता।
सुप्रिया सुले बोलीं-अधूरा आयोजन...
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की नेता सुप्रिया सुले ने भी उद्घाटन को अधूरा आयोजन करार दिया। सुले ने पुणे में कहा कि विपक्ष के बिना एक नया संसद भवन खोलना इसे एक अधूरा आयोजन बनाता है। इसका मतलब है कि देश में कोई लोकतंत्र नहीं है।
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