सार
शांति देवी ओडिशा में एक जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उनका जन्म 18 अप्रैल 1934 को हुआ था। सामाजिक कार्यकर्ता ने कोरापुट में एक छोटा आश्रम शुरू किया और बाद में रायगढ़ में सेवा समाज की स्थापना की।
नई दिल्ली. सोशल वर्कर और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित शांति देवी (shanti devi) का निधन हो गया। शांति देवी ओडिशा में एक जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उनका जन्म 18 अप्रैल 1934 को हुआ था। सामाजिक कार्यकर्ता ने कोरापुट में एक छोटा आश्रम शुरू किया और बाद में रायगढ़ में सेवा समाज की स्थापना की। उनके निधन पर पीएम मोदी (PM Modi) ने शोक प्रकट किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर उन्हें गरीबों की आवाज बताया।
क्या कहा पीएम मोदी ने
ट्वीट करते हुए पीएम मोदी ने कहा- शांति देवी जी को गरीबों और वंचितों की आवाज के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने दुखों को दूर करने और एक स्वस्थ और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया। उनके निधन से आहत हूं। मेरे विचार उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं। शांति।
शांति देवी एक जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उनका जन्म 18 अप्रैल, 1934 को बालासोर जिले के एक जमींदार परिवार में हुआ था। 17 साल की उम्र में दो साल के कॉलेज के बाद, उनकी शादी महात्मा गांधी के अनुयायी डॉक्टर रता दास से हुई। शांति देवी ने 1952 में कोरापुट जिले में जमीन सत्याग्रह आंदोलन से खुद को जोड़ा तब उन्होंने जमींदारों द्वारा जबरन हड़प ली गई आदिवासी लोगों की जमीन को मुक्त कराने के लिए संघर्ष किया।
2021 में पद्मश्री पुरस्कार से हुईं थी सम्मानित
शांति देवी गांधीवादी अनुयायी आचार्य विनोबा भावे से 1955-56 में मिलीं। उनकी विचारधारा से प्रेरित होकर, उन्होंने आदिवासियों, निराश्रित महिलाओं और अनाथ लड़कियों के विकास के लिए काम करना शुरू किया और उनके भूदान आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने अनाथों, बेसहारा और गरीब बच्चों के पुनर्वास के लिए 1964 में रायगढ़ जिले के गुनुपुर में सेवा समाज आश्रम की स्थापना की। शिक्षा के माध्यम से आदिवासी लड़कियों के उत्थान के लिए अपना अमूल्य योगदान दिया। समाज सेवा में के लिए वर्ष 2021 में उन्हें देश के सबसे प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
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