सार

गुलबर्गा विश्वविद्यालय के परीक्षा और मूल्यांकन विभाग में एक बार फिर बड़ी चूक हुई है। 42वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक की घोषणा में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है।

कलबुर्गी. गुलबर्गा विश्वविद्यालय के परीक्षा और मूल्यांकन विभाग में एक बार फिर बड़ी चूक हुई है। 42वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक की घोषणा में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। ज्ञानगंगा के अंग्रेजी विभाग और मूल्यांकन विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण, बीदर जिले के भालकी सीबी कॉलेज की मेधावी छात्रा रोशनी मालगे को आखिरी समय में स्वर्ण पदक से वंचित होना पड़ा।

रोशनी ने एमए अंग्रेजी (इंडियन लिटरेचर) में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर स्वर्ण पदक जीता था। भालकी के सीबी कॉलेज के प्राचार्य को गुलबर्गा विश्वविद्यालय के मूल्यांकन विभाग ने पत्र लिखकर यह जानकारी दी थी और उनसे रोशनी का फोटो और पता मांगा था।

पदक सूची में रोशनी का नाम ही गायब: विश्वविद्यालय के मूल्यांकन कुलसचिव के निर्देश पर कॉलेज के प्राचार्य ने रोशनी को सूचित किया और उसकी तस्वीर और विवरण विश्वविद्यालय के परीक्षा और मूल्यांकन विभाग को भेज दिया। 12 अगस्त को दीक्षांत समारोह की तारीख तय होने के बाद, रोशनी अपने रिश्तेदारों के साथ सीधे गुलबर्गा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त करने पहुंची।

स्वर्ण पदक विजेताओं के लिए विशेष गाउन लेने के लिए जब वह काउंटर पर गई तो वहां मौजूद पदक विजेताओं की सूची में अपना नाम नहीं देखकर वह निराश हो गई। जब उसने इसका कारण पूछा तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने उसे बताया कि एक अन्य छात्रा को उससे ज़्यादा अंक मिले हैं, इसलिए यह बदलाव किया गया है।

रोशनी को मिला खेद पत्र: रोशनी ने अपने साथ हुए अन्याय पर बहुत रोई। उसने कहा कि उसे समझ नहीं आ रहा कि इतने अंक प्राप्त करने के बाद भी विश्वविद्यालय ने यह गलती कैसे की। अगर पहले ही बदलाव के बारे में बताया जाता तो वह यहां आती ही नहीं। रोशनी ने बताया कि वह स्वर्ण पदक मिलने की खुशी में अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ दीक्षांत समारोह में आई थी, लेकिन यहां आकर उसे बहुत अपमानित महसूस हुआ। उसने सवाल किया कि अगर किसी और छात्रा को उससे ज़्यादा अंक मिले थे तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहले ही इसका पता क्यों नहीं लगाया?

दीक्षांत समारोह के दिन 12 अगस्त को सुबह 11:20 बजे रोशनी को उसके कॉलेज के प्राचार्य का एक खेद पत्र मिला। पत्र में बताया गया था कि पदक चयन में गलती हुई है। रोशनी ने बताया कि दीक्षांत समारोह के दौरान ही उसे कॉलेज वालों ने यह पत्र मोबाइल पर भेजा। उसने कहा कि उसे समझ नहीं आ रहा कि पहले उसका नाम लेकर पत्र क्यों लिखा गया और बाद में उसे बदलकर दूसरी छात्रा का नाम क्यों लिखा गया?

गुलबर्गा विश्वविद्यालय के मूल्यांकन कुलसचिव के कार्यालय पर संदेह: भालकी सीबी कॉलेज को स्वर्ण पदक के लिए चयन की सूचना देने वाला पत्र 8 जुलाई को ही मूल्यांकन कुलसचिव के हस्ताक्षर के साथ भेजा गया था। इसमें रोशनी का नाम स्पष्ट रूप से अंकित था। इसके ठीक 1 महीने बाद 8 अगस्त को उसी कुलसचिव ने भालकी सीबी कॉलेज को गुलबर्गा विश्वविद्यालय से एक और पत्र भेजा, जिसमें रोशनी की जगह अशफिया महरीन को स्वर्ण पदक देने की बात कही गई थी। यह पत्र कॉलेज पहुंचा और रोशनी के हाथ लगा, तब तक दीक्षांत समारोह शुरू हो चुका था!

इस मामले में गुलबर्गा विश्वविद्यालय के मूल्यांकन विभाग से बड़ी लापरवाही हुई है। स्वर्ण पदक का ही बदल जाना गंभीर मामला है। अगर पहले ही ठीक से जांच कर ली जाती तो यह गलती नहीं होती। भले ही गलती हुई हो, लेकिन खेद पत्र तुरंत भालकी कॉलेज को भेज देना चाहिए था। ऐसा नहीं करके विश्वविद्यालय ने अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ा है। कहा जा रहा है कि मूल्यांकन कुलसचिव की लापरवाही के कारण ही यह गड़बड़ी हुई है। हाल ही में लोकायुक्त एसपी और उनकी टीम ने गुलबर्गा विश्वविद्यालय के मूल्यांकन विभाग का दौरा कर फटकार लगाई थी। इसके बावजूद एक और बड़ी गड़बड़ी सामने आने से मेधावी छात्रों में चिंता है।

रोते हुए रोशनी ने जताया विरोध: इस बार 42वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में राज्यपाल थावर चंद गहलोत और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. सुधाकर ने डिग्रियां प्रदान कीं। पदक वितरण में गड़बड़ी के कारण रो रही रोशनी विरोध करने के लिए समारोह के सामने आई तो पुलिस ने उसे रोक दिया। रोशनी समारोह खत्म होने तक रोती रही।