सार
ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Mosque case) में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले को जिला जज के पास भेजा है। 8 सप्ताह तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। जुलाई के दूसरे सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में अगली सुनवाई होगी।
नई दिल्ली। ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Mosque case) में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले को जिला जज के पास भेज दिया। आठ सप्ताह तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह में होगी।
इससे पहले जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि निचली अदालत के लिए निर्देश दे सकते हैं। अंतरिम आदेश जारी रहेगा। मामला जिला अदालत में भेजा जाए। सभी पक्षों के हित सुरक्षित रखे जाएंगे। जिला जज को सुनना चाहिए। जिला जज के पास 25 साल का अनुभव है। हम आदेश नहीं देंगे कि जिला जज किस तरह काम करें।
मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में कहा कि वाराणसी कोर्ट के आदेश पर रोक लगे। अब तक के सभी आदेश निरस्त किए जाएं। अब तक के सभी आदेश कानून के खिलाफ हैं। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम समझ गए कि आप क्या चाहते हैं। हमारी तरफ से संतुलन बनाने की पूरी कोशिश रहेगी। दोनों पक्ष अपनी बात जिला कोर्ट में रखें। ऐसा नहीं है कि हम इस मामले का निपटारा कर रहे हैं। यह मामला हमारे पास लंबित रहेगा। आप पहले जिला जज के पाए जाएं।
कोर्ट रूम में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच हुई तीखी बहस
हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच कोर्ट रूम में तीखी बहस हुई। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वहां शिवलिंग नहीं फव्वारा है। हिंदू पक्ष ने फव्वारा वाले बयान पर एतराज जताया। इसपर कोर्ट ने कहा कि आपलोग आपस में बहस नहीं करें। आपलोग हमसे बात करें। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में स्थिति बदल दी गई है। इसपर कोर्ट ने कहा कि कहां स्थिति बदली है? क्या वहां नमाज नहीं पढ़ा गया? इसपर मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि नमाज तो हुआ, लेकिन बजू नहीं हुआ। इसपर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वकील तुषार मेहता ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के वकील गलत बयान दे रहे हैं। वहां बजू के इंतजाम किए गए हैं।
मुस्लिम पक्ष ने उठाया 1991 एक्ट का मामला
मुस्लिम पक्ष ने 1991 एक्ट का मामला उठाया। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट, 1991 के अनुसार धार्मिक स्थान की स्थिति नहीं बदली जा सकती। इसके बाद सुनवाई कर रहे जज ने एक्ट 1991 मंगवाया। कोर्ट ने कहा कि राम मंदिर मामले में हमने 1991 एक्ट की व्याख्या की थी। हम उसे भी देखेंगे। मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि सर्वे कमिशन बनाना ही नहीं चाहिए था। इससे समाज में अव्यवस्था फैल सकती है। इसपर कोर्ट ने कहा कि जांच से स्टेटस नहीं बदल जाता। किसी भी पूजा स्थल की जांच हो सकती है।
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डीवाई चंद्रचूड़ ने पढ़ा आदेश
सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश पढ़ा। उन्होंने कहा कि इस मामले को हम जिला जज के पास भेज रहे हैं। तमाम दस्तावेज जिला जज के पास रहेंगे। मुस्लिम पक्ष के आवेदन को प्राथमिकता से सुना जाए। तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू रहेगा। हमें बताया गया है कि बजू के इंतजाम किए गए हैं। डीएम मामले से जुड़े लोगों से बात कर उचित व्यवस्था करें। इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह में होगी।
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