सार
मुंबई 26/11 हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया गया। RAW और NIA की टीम स्पेशल फ्लाइट से राणा को भारत ला रही है। दिल्ली की तिहाड़ जेल में हाई-सिक्योरिटी में रखा जाएगा। जानिए पूरी टाइमलाइन और केस की गहराई।
Tahawwur Rana extradition to India: मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए अब तक के सबसे खौफनाक आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार अमेरिका से भारत लाया जा रहा है। पाकिस्तान मूल का 64 वर्षीय कनाडाई नागरिक राणा, इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई के बीच की मिलीभगत का एक अहम कड़ी माना जाता है।
अमेरिका से रवाना, भारत में लैंडिंग
भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) और खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) की एक संयुक्त टीम 9 अप्रैल को अमेरिका से विशेष विमान द्वारा तहव्वुर राणा को लॉस एंजिलिस के मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर से लाकर भारत लेकर रवाना हुई। उसे दिल्ली या मुंबई की उच्च सुरक्षा वाली जेलों में रखा जाएगा। सुरक्षा एजेंसियों ने तिहाड़ जेल में उसे रखने की विशेष व्यवस्था कर ली है। गुरुवार दोपहर तक राणा के भारत पहुंचने की पुष्टि की गई है।
2008 में 166 लोगों की हत्या के पीछे था राणा
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए थे, जिनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उसने डेविड हेडली को भारत का वीजा दिलवाया और हमले की साजिश में सहयोग किया।
कौन है तहव्वुर राणा?
- पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक
- अमेरिका में "फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज" चलाता था।
- डेविड हेडली को भारत भेजने और वीजा दिलाने में मदद की।
- LeT और ISI की आतंकी योजनाओं का मुख्य सूत्रधार।
26/11 हमलों के मास्टरमाइंड्स: एक गहरी साजिश
- हाफिज सईद – LeT संस्थापक, हमलावरों को वैचारिक रूप से तैयार किया
- जकीउर रहमान लखवी – ट्रेनिंग और ऑपरेशन की देखरेख
- साजिद मीर – VoIP कॉल्स और मिशन कंट्रोल
- मेजर इकबाल (ISI) – टोही मिशनों के लिए फंडिंग और निर्देश
- डेविड हेडली – मुंबई की जासूसी, लोकेशन वीडियोज और नक्शे
- तहव्वुर राणा – लॉजिस्टिक और वीजा सपोर्ट
राणा से क्या उमीदें?
- NIA और RAW की टीम को उम्मीद है कि तहव्वुर राणा की पूछताछ में:
- ISI और लश्कर की प्रत्यक्ष संलिप्तता सामने आएगी।
- स्लीपर सेल्स और भविष्य के आतंकी प्लान उजागर होंगे।
- पाकिस्तान में बैठे कई नाम सामने आ सकते हैं जिन्हें अभी तक कानूनी कार्रवाई से बचाया गया है।
अबू हमजा और स्नोडेन लीक से भी मिले संकेत
- अबू हमजा की पूछताछ में ISI-LeT गठजोड़ की पुष्टि हुई।
- स्नोडेन लीक से CIA को VoIP इंटरसेप्ट्स में ISI की गतिविधियों के प्रमाण मिले।
सुरक्षा हाई अलर्ट पर
NSA अजीत डोभाल की निगरानी में दिल्ली और मुंबई में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई है। तहव्वुर राणा की जान को खतरा भी बताया जा रहा है।
तहव्वुर राणा का पूरा बैकग्राउंड और टाइमलाइन
- 2009: डेनमार्क के अखबार पर हमले की साजिश में गिरफ्तार किया गया।
- 2011: दोषी पाए जाने पर अमेरिका में 14 साल की सजा सुनाई गई।
- 2013: अमेरिका में LeT को सपोर्ट करने के आरोप में सजा मिली।
- 2019: भारत ने पहली बार राणा के प्रत्यर्पण की मांग रखी।
- 2020: भारत ने औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।
- 2024 (13 नवंबर): प्रत्यर्पण रोकने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका।
- 2025 (21 जनवरी): याचिका खारिज, भारत लाने का रास्ता साफ।
- 2025 (10 अप्रैल): भारत प्रत्यर्पित।
हेडली को भारत भेजने में राणा की भूमिका
तहव्वुर राणा ने ही अपने करीबी और 26/11 हमलों के सह-साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली को भारत का बिजनेस वीजा दिलवाया था। हेडली ने भारत में रहते हुए मुंबई के तमाम महत्वपूर्ण जगहों की रेकी की और फोटोग्राफ्स और वीडियो पाकिस्तान भेजे, जिससे हमले की योजना बनाई गई।
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में होगी पेशी
भारत लाए जाने के तुरंत बाद तहव्वुर राणा को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जाएगा। जहां NIA अदालत से उसकी रिमांड की मांग करेगी ताकि उससे लंबी और गहन पूछताछ की जा सके। पूछताछ से उम्मीद है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और लश्कर-ए-तैयबा के बीच की साजिशों का खुलासा होगा।
राणा की सेहत भी बनी चुनौती
अदालती दस्तावेजों के अनुसार, तहव्वुर राणा पार्किंसन्स और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है। इसी आधार पर उसने प्रत्यर्पण को टालने की कोशिश की थी, जिसे अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
ISI और लश्कर की मिलीभगत के है ठोस सबूत
- CIA स्नोडेन लीक्स के अनुसार, अमेरिका ने हमलों से पहले लश्कर और ISI के बीच संचार इंटरसेप्ट किया था।
- अबू हमजा से पूछताछ में ISI और लश्कर की मिलीभगत की पुष्टि हो चुकी है।
- मेजर इकबाल नाम के आईएसआई अधिकारी ने हेडली की निगरानी और ट्रेनिंग को सुपरवाइज़ किया।
तिहाड़ जेल का विशेष वार्ड तैयार
तहव्वुर राणा को दिल्ली की तिहाड़ जेल के हाई सिक्योरिटी वार्ड में रखा जाएगा। जहां निगरानी के लिए मल्टी-लेयर सुरक्षा, CCTV निगरानी और एक विशेष मेडिकल टीम भी तैनात की गई है।
क्यों है तहव्वुर राणा का भारत आना इतना महत्वपूर्ण?
तहव्वुर राणा सिर्फ एक सह-साजिशकर्ता नहीं बल्कि 26/11 हमले की एक केंद्रीय कड़ी है, जिसने पाकिस्तानी एजेंसियों को भारत की सुरक्षा से खिलवाड़ करने में मदद की। राणा की गिरफ्तारी और पूछताछ से पाकिस्तान की राज्य संरक्षित आतंकवाद की नीति बेनकाब हो सकती है।
अब क्या होगा आगे?
- राणा से पूछताछ में नए स्लीपर सेल्स, फाइनेंसिंग नेटवर्क और भविष्य के संभावित टारगेट का खुलासा हो सकता है।
- भारत, अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के बीच खुफिया सहयोग और तेज होगा।
- पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और बढ़ सकता है।