सार

राज्यपाल के तमिलनाडु राज्य का नाम बदलने के सुझाव का डीएमके ने विरोध जताया है। सत्तारूढ़ दल ने श्री रवि पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है।

TN Governor Vs Stalin: पश्चिम बंगाल के बाद अब तमिलनाडु में राजभवन और सत्ता का आमना-सामना देखने को मिल रहा है। तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि सोमवार को विधानसभा में अपना भाषण पढ़े बगैर चले गए। यहां तक कि राष्ट्रगान का भी इंतजार नहीं किया। दरअसल, राज्य सरकार ने एक प्रस्ताव पेश किया है जिसमें कहा गया है कि विधानसभा में राज्यपाल के मूल भाषण को ही रिकॉर्ड किया जाएगा। यानी राज्य सरकार जो परंपरागत रूप से भाषण सदन के लिए बनाती है उसे ही रिकॉर्ड किया जाएगा, अलग से राज्यपाल का जोड़ा गया वाक्य रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं होगा। 

आवेश में आकर राज्यपाल ने छोड़ा सदन

सोमवार को सदन में राज्यपाल ने आएन रवि ने राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए अभिभाषण के कुछ हिस्सों को छोड़ दिया। छोड़े गए स्पीच में धर्मनिरपेक्षता के संदर्भ थे, तमिलनाडु को शांति का स्वर्ग बताया गया था। पेरियार, बीआर अंबेडकर, के कामराज, सीएन अन्नादुरई और करुणानिधि जैसे नेताओं का उल्लेख किया किया गया था। इसके बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सदन में इस मामले में एक प्रस्ताव लाया। प्रस्ताव पेश करते हुए स्टालिन ने यह भी बताया कि राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में उस 'द्रविड़ियन मॉडल' का भी उल्लेख नहीं किया जिसे सत्तारूढ़ डीएमके बढ़ावा देती है। एमके स्टालिन ने प्रस्ताव में कहा कि राज्यपाल की कार्रवाई विधानसभा की परंपराओं के खिलाफ है। इस पर आवेश में आकर राज्यपाल ने सदन छोड़ दिया। 

राज्यपाल के खिलाफ हुई नारेबाजी

सत्तारूढ़ डीएमके के सहयोगियों - कांग्रेस, विदुथलाई चिरुथिगाल काची (वीसीके), सीपीआई, और सीपीआई (एम) ने पहले राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार किया। इसके बाद जमकर उनके खिलाफ नारेबाजी भी की है। सत्ता सहयोगी दलों का आरोप था कि राज्यपाल बिलों को मंजूरी देने में देरी करते हैं। कई महत्वपूर्ण बिल को वह अपने टेबल पर लटकाए हुए हैं। इन दलों का आरोप था कि ऑनलाइन जुआ, राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने के लिए संशोधन सहित 21 विधेयक को राजभवन में लंबित रखे हुए हैं। राज्यपाल रवि के खिलाफ विधानसभा में तमिलनाडु छोड़ो के नारे लगे। सत्तारूढ़ द्रमुक विधायकों ने बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा को थोपने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की।

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने राज्यपाल को हटाने की मांग

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने राज्य को अस्थिर करने का आरोप लगाया। उन्होंने मांग किया कि राज्यपाल आरएन रवि को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने ट्वीट कर बताया कि राष्ट्रपति को तत्काल राज्यपाल को वापस बुलाना चाहिए क्योंकि तमिलनाडु में उनकी स्थिति अस्थिर है।

डीएमके ने राज्यपाल की हालिया टिप्पणी पर जताया ऐतराज

अभी कुछ दिनों पहले भी राज्यपाल आरएन रवि ने तमिलनाडु के नए नाम की चर्चा कर विवाद खड़ा कर दिया था। रवि ने कहा था कि 'तमिझगम' तमिलनाडु के लिए अधिक उपयुक्त नाम होगा। काशी-तमिल संगमम के आयोजकों और स्वयंसेवकों को सम्मानित करते हुए राज्यपाल ने राजभवन में कहा था कि दुर्भाग्य से तमिलनाडु में राजनीति रही है कि हम द्रविड़ हैं और संविधान के आधार पर, हमें एक साथ लाया गया है। यह झूठ गढ़ा जा रहा है कि हम राष्ट्र का हिस्सा नहीं है। वास्तव में तमिलनाडु वह भूमि है जो भारत की आत्मा को धारण करती है। यह भारत की पहचान है। थमिझगम इसे कहने के लिए अधिक उपयुक्त शब्द होगा।

डीएमके ने कहा-आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा राजभवन से थोप रहे

राज्यपाल के तमिलनाडु राज्य का नाम बदलने के सुझाव का डीएमके ने विरोध जताया है। सत्तारूढ़ दल ने श्री रवि पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है। DMK सांसद टीआर बालू ने राज्यपाल को बीजेपी का दूसरा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में काम करने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसे काम राज्यपाल को बंद करने चाहिए। बालू ने कहा कि राज्यपाल आरएन रवि भ्रम, अलगाव और संघर्ष पैदा करने के लिए दैनिक आधार पर कुछ विवादास्पद कमेंट करते हैं। राज्यपाल जो बयान दे रहे हैं उसे बीजेपी हेडक्वार्टर कमलालयम से आना चाहिए न कि राजभवन से।