सार
बीआरएस नेता के.कविता ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के समन और नरेंद्र मोदी के समन के बीच कोई अंतर नहीं है। अब यह एक प्रथा है जहां कहीं भी चुनाव होता है तो पीएम से पहले ईडी
Delhi Liquor scam: आबकारी नीति केस में भारत राष्ट्र समिति की नेता व तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की बेटी के.कविता की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। शनिवार को करीब नौ घंटे की ईडी पूछताछ के बाद एक बार फिर पूछताछ के लिए समन भेजा गया है। अब ईडी ने उनको 16 मार्च को पूछताछ के लिए तीसरी बार बुलाया है। दरअसल, ईडी का आरोप है कि मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति में बदलाव साउथ ग्रुप को लाभ पहुंचाने के लिए किया था। साउथ ग्रुप में के.कविता भी शामिल हैं। ईडी के अनुसार इस पूरे मामले में 292 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध लेन देन की गई है।
के.कविता बोलीं- ईडी का समन मतलब मोदी का समन
बीआरएस नेता के.कविता ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के समन और नरेंद्र मोदी के समन के बीच कोई अंतर नहीं है। अब यह एक प्रथा है जहां कहीं भी चुनाव होता है तो पीएम से पहले ईडी आता है। विपक्ष क्या कर सकता है, लोगों की अदालत में जाएं या सुप्रीम कोर्ट में। कविता ने कहा कि भाजपा उनके पिता केसीआर को डराने की कोशिश कर रही है।
मनीष सिसोदिया को ईडी ने बताया है मास्टरमाइंड
मनीष सिसोदिया को शुक्रवार को स्पेशल कोर्ट ने 17 मार्च तक रिमांड दिया है। ईडी ने आरोप लगाया है कि मनीष सिसोदिया और अन्य लोगों ने आबकारी नीति बनाने में साउथ ग्रुप आदि को लाभ देने के एवज में 292 करोड़ रुपये से अधिक की लेनदेन की है। सिसोदिया को पहले सीबीआई ने दिल्ली आबकारी केस में अरेस्ट किया था। तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद उनको 9 मार्च को ईडी ने अरेस्ट किया। 10 मार्च को ईडी के रिमांड पर भेज दिए गए। ईडी ने रिमांड पेपर में कहा कि मनीष सिसोदिया की संदिग्ध भूमिका दिल्ली आबकारी नीति बनाने में रही है। सिसोदिया और अन्य लोगों ने कम से कम 292.8 करोड़ रुपये की अवैध लेनदेन की है। सिसोदिया दोषपूर्ण आबकारी नीति बनाने में सक्रिय रहे और अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर साजिश रची व रिश्वत की लेन देन की है। सिसोदिया ने अपराध की आय के सृजन, हस्तांतरण, छुपाने में भूमिका निभाई है और इसे बेदाग के रूप में पेश किया है। पढ़िए ईडी ने रिमांड लेने के लिए क्या कोर्ट में कहा...
ED ने दावा किया कि शराब कार्टेल के 'साउथ ग्रुप' से 100 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। एक आरोपी कंपनी, इंडोस्पिरिट्स ने 192.8 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था। जानिए दिल्ली शराब नीति केस क्या है…