सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिये देशवासियों को फिर कोरोना से सतर्क रहने को कहा है। मोदी ने कहा कि कोरोना से लड़ाई का मंत्र याद रखिए -‘दवाई भी-कड़ाई भी।' यह कार्यक्रम का 75वां संस्करण था। इससे पहले 28 फरवरी को इस कार्यक्रम का प्रसारण हुआ था। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी दो दिवसीय बांग्लादेश की यात्रा से शनिवार रात ही भारत लौटे हैं। मोदी ने मन की बात में गौरैया के संरक्षण और विरासत को सहेजने पर भी जोर दिया।

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'मन की बात' के जरिये रविवार को फिर देशवासियों से रूबरू हुए। इस मासिक रोडियो कार्यक्रम का 11 बजे से प्रसारण हुआ। यह कार्यक्रम का 75वां संस्करण था। इससे पहले 28 फरवरी को इस कार्यक्रम का प्रसारण हुआ था। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी दो दिवसीय बांग्लादेश की यात्रा से शनिवार रात ही भारत लौटे हैं। 'मन की बात' के जरिये मोदी ने देशवासियों को फिर कोरोना से सतर्क रहने को कहा है। मोदी ने कहा कि कोरोना से लड़ाई का मंत्र याद रखिए -‘दवाई भी-कड़ाई भी।' बता दें कि इससे पहले मोदी ने पानी पर गहन चर्चा की थी। इसे पीएम मोदी के फेसबुक पेज और ट्विटर पेज पर लाइव देखा व सुना गया। आकाशवाणी और दूरदर्शन के पूरे नेटवर्क पर भी इसका प्रसारण हुआ। यह आकाशवाणी समाचार की वेबसाइट www.newsonair.com और newsonair मोबाइल एप पर भी उपलब्‍ध रहा।

मन की बात में बोले मोदी

  • आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं कि आप इतनी बारी नजर से मन की बात को फॉलो कर रहे हैं। आप जुड़े रहे हैं, यह मेरे लिए गर्व का विषय है। आनंद का विषय है।
  • कोरोना पर बोले- पिछले वर्ष ये मार्च का ही महीना था, देश ने पहली बार जनता curfew शब्द सुना था। लेकिन इस महान देश की महान प्रजा की महाशक्ति का अनुभव देखिये, जनता curfew पूरे विश्व के लिए एक अचरज बन गया था। उसी प्रकार से हमारे कोरोना warriors के प्रति सम्मान, आदर, थाली बजाना, ताली बजाना, दिया जलाना। आपको अंदाजा नहीं है कोरोना warriors के दिल को कितना छू गया था वो, और, वो ही तो कारण है, जो पूरी साल भर, वे, बिना थके, बिना रुके, डटे रहे। अनुशासन का ये अभूतपूर्व उदाहरण था, आने वाली पीढ़ियां इस एक बात को लेकर के जरूर गर्व करेगी। इन सबके बीच, कोरोना से लड़ाई का मंत्र भी जरुर याद रखिए -‘दवाई भी -  कड़ाई भी।’

स्वतंत्रता सेनानियों पर बोले

  • आज़ादी के लड़ाई में हमारे सेनानियों ने कितने ही कष्ट इसलिए सहे, क्योंकि, वो देश के लिए त्याग और बलिदान को अपना कर्तव्य समझते थे। उनके त्याग और बलिदान की अमर गाथाएं अब हमें सतत कर्तव्य पथ के लिए प्रेरित करें।किसी स्वाधीनता सेनानी की संघर्ष गाथा हो, किसी स्थान का इतिहास हो, देश की कोई सांस्कृतिक कहानी हो, ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान आप उसे देश के सामने ला सकते हैं, देशवासियों को उससे जोड़ने का माध्यम बन सकते हैं। आप देखिएगा, देखते ही देखते ‘अमृत महोत्सव’ ऐसे कितने ही प्रेरणादायी अमृत बिंदुओं से भर जाएगा, और फिर ऐसी अमृत धारा बहेगी जो हमें भारत की आज़ादी के सौ वर्ष तक प्रेरणा देगी। देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी, कुछ-न-कुछ करने का जज्बा पैदा करेगी।

महिला सशक्तिकरण पर

  • मिताली जी, हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में दस हजार रन बनाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बनी हैं। उनकी इस उपलब्धि पर बहुत-बहुत बधाई। ये दिलचस्प है, इसी मार्च महीने में, जब हम महिला दिवस celebrate कर रहे थे, तब कई महिला खिलाड़ियों ने Medals और Records अपने नाम किये हैं। आज, Education से लेकर Entrepreneurship तक, Armed Forces से लेकर Science & Technology तक, हर जगह देश की बेटियाँ, अपनी, अलग पहचान बना रही हैं।

इन पर  भी बोले मोदी

  • मैं एक Unique Light House के बारे में भी आपको बताना चाहूंगा. ये लाइट हाउस गुजरात के सुरेन्द्र नगर जिले में जिन्झुवाड़ा नाम के एक स्थान में है. जानते हैं, ये लाइट हाउस क्यों खास है? क्योंकि जहां ये लाइट हाउस है, वहां से अब समुद्र तट 100 किमी से भी अधिक दूर है।
  • अभी कुछ दिन पहले #WorldSparrowDay मनाया गया। Sparrow यानि गोरैया। कहीं इसे चकली बोलते हैं, कहीं चिमनी बोलते हैं, कहीं घान चिरिका कहा जाता है। आज इसे बचाने के लिए हमें प्रयास करने पड़ रहे हैं। मेरे बनारस के एक साथी इंद्रपाल सिंह बत्रा जी ने ऐसा काम किया है, जिसे मैं, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को जरूर बताना चाहता हूं। बत्रा जी ने अपने घर को ही गोरैया का आशियाना बना दिया है।
  • ओडिशा के केंद्रपाड़ा के रहने वाले बिजय जी ने 12 साल, मेहनत करके, अपने गांव के बाहर, समुद्र की तरफ 25 एकड़ का mangrove जंगल खड़ा कर दिया। आज ये जंगल इस गांव की सुरक्षा कर रहा है।
  • हमारे पास योग, आयुर्वेद न जाने क्या कुछ नहीं है। भारत के लोग दुनिया में गर्व से कहते हैं कि वे भारतीय है। हम अपनी भाषा, पहनाव, खान-पान पर गर्व करते हैं। हमें नया तो पाना है, लेकिन साथ में पुरातन को गवाना नहीं है। हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर को भी नई पीढ़ी तक पहुंचाना है हमें बहुत परिश्रम के साथ अपने आस-पास मौजूद अथाह सांस्कृतिक धरोहर का संवर्धन करना है, नई पीढ़ी तक पहुंचाना है। Karbi Anglong जिले के ‘सिकारी टिस्सौ’ जी पिछले 20 सालों से Karbi भाषा का documentation कर रहे हैं। उन्हें अपने इस प्रयासों के लिए कई जगह प्रशंसा भी मिली है, और award भी मिले हैं।
  • बी फॉर्मिंग देश में शहद क्रांति का आधार बन रहा है। बड़ी संख्या में किसान इससे जुड़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के एक गांव गुरदुम में लोगों ने शहद पैदा करने का काम शुरू किया है। इस जगह के शहद की बाजार में अच्छी मांग है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ रही है।