सार

मेंटल हेल्थ से जुड़े देश के टॉप डॉक्टर्स ने श्मशान संबंधी ग्राउंड रिपोर्टिंग करने की आलोचना की है। इसी के साथ डॉक्टर्स ने पत्रकारों और मीडिया संस्थान को उन्माद और पैनिक वाली कवरेज से बचने की सलाह दी है। 

नई दिल्ली. मेंटल हेल्थ से जुड़े देश के टॉप डॉक्टर्स ने श्मशान संबंधी ग्राउंड रिपोर्टिंग करने की आलोचना की है। इसी के साथ डॉक्टर्स ने पत्रकारों और मीडिया संस्थान को उन्माद और पैनिक वाली कवरेज से बचने की सलाह दी है। 

न्यूयॉर्क टाइम्स समेत तमाम विदेशी मीडिया संस्थान भारत में श्मशान से सनसनीखेज तस्वीरों के साथ रिपोर्ट पेश कर रहे हैं, यह भारत की कोरोना के खिलाफ लड़ाई की एक धुंधली तस्वीर पेश कर रहा है। 
 
इन डॉक्टरों ने लिखा पत्र
इस खुले पत्र में नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ बी एन गंगाधर, मनोचिकित्सा विभाग की प्रमुख प्रतिमा मूर्ति, इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के अध्यक्ष गौतम साहा और एम्स दिल्ली के साइकेट्री के प्रोफेसर राजेश सागर ने हस्ताक्षर किए हैं। 

क्या लिखा है पत्र में?
पत्र में लिखा है कि श्मशान घाटों में जलते हुए शवों की तस्वीरें, शोक में बिलखते मृतकों के रिश्तेदारों की तस्वीरें, रिपोर्टर और कैमरामैन लगातार झुंड की तरह लोगों पर टूट पड़ते हैं, जो गहरे दुख से गुजर रहे हैं। इससे दर्शकों को इकट्ठा करने में तो मदद मिल सकती है।  

पत्र में कहा गया है कि कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंध पहले से ही एक मानसिक स्वास्थ्य महामारी को बढ़ावा दे रहे हैं जिससे लोग निराश, अकेले और चिंतित हैं। ऐसे में वे सोशल मीडिया और टीवी की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन इस तरह की मीडिया कवरेज ने उन्हें धरातल में धकेल दिया है। इसमें कहा गया है कि श्मशान घाट से घबराहट फैलाने वाले कवरेज से निकलने वाली तस्वीरें और भावनाएं कोरोना मरीज के दिमाग पर भार डालती रहेंगी।