सार
उत्तराखंड टनल हादसे का 17वां दिन है। अभी तक सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने में कामयाबी नहीं मिल पाई है लेकिन अब उन तक पहुंचने की खुदाई का काम तेजी से चल रहा है।
Uttarakhand Tunnel Rescue. उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों की सुरक्षित निकासी के लिए पूरे देश में प्रार्थना की जा रही है। श्रमिकों के परिवार के लोग भी जल्द से जल्द अपने परिजनों के बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, रेस्क्यू ऑपरेशन अब 17वें दिन में पहुंच गया है। ताजा जानकारी के अनुसार सुरंग में फंसे मजदूरों तक पहुंचने के लिए रैट होल तैयार किया जा रहा है। इंडियन आर्मी भी पूरी तरह से रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी है। माना जा रहा है कि जल्दी ही जल्द श्रमिकों को बाहर निकालने की गुड न्यूज आ सकती है। माना जा रहा है कि 17वें दिन गुड न्यूज मिल सकती है क्योंकि रेस्क्यू टीम अब फंसे मजदूरों के पास पहुंच चुकी है।
Uttarakhand Tunnel Rescue: अब तक की 10 बड़ी अपडेट
- उत्तराखंड टनल हादसे में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए 24 रैट होल माइनिंग एक्सपर्ट्स लगे हैं।
- मौके पर मौजूद अधिकारियों की मानें तो रेस्क्यू टीम अब फंसे श्रमिकों से सिर्फ 5 मीटर दूर रह गई है।
- सुरंग में करीब 86 मीटर वर्टिकल टनल बनाया जा रहा है, अब मैनुअल खुदाई का काम भी शुरू है।
- ऑगर मशीन के फंसने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी हो रही है, यह 25 टन की मशीन है।
- वर्कर्स तक भोजन पानी और ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए 800एमएम की पाइपलाइन का सहारा लिया जा रहा है।
- सभी वर्कर्स अभी सुरक्षित हालात में हैं और सभी ने सुरक्षा मानकों को पहना हुआ है।
- नेशनल डिजॉस्टर मैनेजमेंट के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन तेज किया गया है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सचिव पीके मिश्रा भी टनल के पास पहुंचने वाले हैं और लेटेस्ट अपनडेट लेंगे।
- उत्तराखंड टनल हादसे में 41 श्रमिका 17 दिनों से सुरंग में फंसे हैं, जिन्हें निकालने के लिए अभियान जारी है।
- पीएम नरेंद्र मोदी उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी से लगातार मामले की अपडेट ले रहे हैं।
देहरादून से कितनी दूर है सिलक्यारा
उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में 17 दिन पहले भूस्खलन की वजह से 41 मजदूर सुरंग में फंस गए हैं। इन्हें निकालने के लिए कई टीमें लगाई गई हैं। देहरादून से करीब 7 घंटे की ड्राइव के बाद सिलक्यारा टनल है। यह टनल सरकार की चारधाम यात्रा को हर मौसम में चालू करने के उद्देश्य से बनाया जा रहा है।
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