सार
भारत अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ था। आजादी के इन सात दशकों को भारत ने जाया नहीं होने दिया।
नई दिल्ली. भारत अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ था। आजादी के इन सात दशकों को भारत ने जाया नहीं होने दिया। देश के लोगों ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से विश्वपटल पर मुल्क को नई ऊंचाई दी। देश ने अपनी काबिलियत के बल पर खेल से लेकर इनोवेशन के क्षेत्र, अपने कड़े फैसलों, महिलाओं की स्वतंत्रता, धार्मिक आर्थिक, सामाजिक बेड़ियों को तोड़ते हुए साथ ही सूचना के संचार में दुनिया के सामने अपना एक मुकाम स्थापित किया।
आरक्षण
कई आंदोलन और आयोग की रिपोर्ट के बाद 1991 में नरसिम्हा राव सरकार ने अलग से अगड़ी जातियों में गरीबों के लिए 10% आरक्षण की शुरूआत की। 1992 में इंदिरा साहनी मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण को सही ठहराया। 1995 में संसद ने 77वें सांविधानिक संशोधन के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की तरक्की के लिए आरक्षण का समर्थन किया। 2006 से केंद्रीय सरकार के शैक्षिक संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण शुरू हुआ। 10 अप्रैल 2008 को सुप्रीम कोर्ट ने 27% ओबीसी (OBC) कोटा शुरू करने फैसले को सही ठहराया। पिछड़ी जातियों और लोगों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए आरक्षण की शुरूआत की। भारत में जाति आधारित आरक्षण, प्रबंधन कोटा, लिंग आधारित आरक्षण, धर्म आधारित आरक्षण, राज्य के स्थायी निवासियों के लिए आरक्षण, पूर्वस्नातक के लिए आरक्षण समेत अन्य मानदंडो के तहत आरक्षण दिया जाता है।
शिमला समझौता
1971 में भारत- पाक युद्ध के बाद शिमला में एक संधि हुई थी, जिसे शिमला समझौता कहा गया। इसमें भारत की तरफ से इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो शामिल थे। यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच दिसम्बर 1971 में हुई लड़ाई के बाद किया गया। समझौते के तहत पाकिस्तान के 93000 से अधिक सैनिकों ने अपने लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के नेतृत्व में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया और बाग्लादेश नाम का नया राष्ट्र बना। किस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो अपनी पुत्री बेनज़ीर भुट्टो के साथ 28 जून 1972 को शिमला पहुंचे थे। इस समझौते पर पाकिस्तान की ओर से बेनजीर भुट्टो और भारत की ओर से इन्दिरा गाँधी ने हस्ताक्षर किये थे। सभी विवादों को बातचीत से सुलझाने की सहमति बनी थी।
आर्थिक उदारीकरण
साल 1980 में भारत की आर्थिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण नीतिगत बदलवा किये गए थे। इस नए मॉडल के तहत उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण मॉडल लागू किये गए थे। इस मॉडल के तहत भारत की अर्थव्यवस्था को थोड़ा लचीला कर दिया गया था। इसका उद्देश्य दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी से करना था और अन्य देशों की अर्थव्यवस्था के मुकाबले बराबर या उनसे आगे निकलना था। उदारीकरण के तहत सरकार ने नियमों में कमी कर दी थी। यह देश में 24 जुलाई 1991 के बाद से शुरू हुआ। निजीकरण से देश में निजी व्यापार करने वालों के लिए सुनहरे अवसर खुल गए थे। जिसमें सरकार और निजी कंपनियों की सहभागीदारी सुनिश्चित की गई थी। वैश्वीकरण से दुनिया के देशों के साथ व्यापार करने के नए रास्ते खोले गए। ये सभी बदलाव नरसिंह राव समिति की सिफारिशों पर तात्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने किये थे।
संचार क्रांति
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद साल 1984 को राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाया गया था। उन्होंने उन्नीसवीं सदी में देश के लिए 21वीं सदी का सपना देखा था। राजीव गांधी ने देश में कई क्षेत्रों में नई पहल की थी, जिसमें संचार क्रांति और कंप्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार और 18 साल के युवाओं को मताधिकार शामिल थे। देश को दुनिया की उच्च तकनीकों से पूर्ण करने की दिशा में अहम निर्णय लिए थे। उनकी सोच और कड़े निर्णय की देश में संचार का नया युग आया।
ट्रिपल तलाक
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद 19 सितंबर 2018 के ये बिल लागू माना जाएगा। ये बिल दोनों सदन राज्यसभा और लोकसभा में पास हो चुका है। इस बिल को मोदी सरकार ने 25 जुलाई को लोकसभा और 30 जुलाई को राज्यसभा में पास करवाया था। 19 सितंबर 2018 के बाद से तीन तलाक के जितने मामले आए हैं, इस बिल के आधार पर निपटाए जाएंगे। कानून बनने के बाद से तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत रद्द और गैर कानूनी हो गया है। इस बिल के तहत तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक की प्रथा पर रोक लगाई थी। पांच जजों की पीठ ने तुरंत तलाक देने के इस रिवाज को असंवैधानिक करार दिया था। उत्तराखंड की शायरा बानो की याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था। शायरा को उनके पति ने तीन बार तलाक लिख कर चिट्टी भेजी थी। इसी के बाद शायरा इस मामले को कोर्ट में ले गईं थी।
आर्टिकल 370
केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा दी। अब 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू कश्मीर और अलग केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे। इस फैसले के बाद से अब जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा हटा लिया गया है, जिसके बाद से संविधान की धारा 356 लागू होगी। जम्मू कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता खत्म हो गई है। अब भारत सरकार कश्मीर के सीमित क्षेत्रों के लिए कानून बना सकती है। अन्य राज्य के लोगों के लिए अब कश्मीर में जमीन खरीदने का अधिकार मिल जाएगा। अब कश्मीर अन्य राज्यों की तरह भारत का एक राज्य रहेगा। इस विशेष दर्जे की वजह से पाकिस्तान नागरिक को भारत की नागरिकता मिल जाती थी।
नोटबंदी और जीएसटी
आठ नवंबर 2016 को मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार और कालेधन को रोकने के लिए नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला किया। इसके तहत 500 और एक हजार के पुराने नोटों को बंदकर 500 और 2000 के नए नोट जारी किए गए। मोदी ने नोटबंदी के दौरान समस्याओं से जूझ रही जनता से 50 दिन मांगे थे। इसके बाद 1 जुलाई साल 2017 में नरेंद्र मोदी सरकार ने जीएसटी बिल पास किया था। इसके तहत हर देश में हर सामान और हर सर्विस पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा। इसमें वैट, इक्साइज और सर्विस टैक्स शामिल है। इससे पहले देश में सभी टैक्स अलग अलग लिए जाते थे। भारत में साल 2006-07 के आम बजट में पहली बार इस बिल का जिक्र किया गया था। वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले टैक्स को जीएसटी में लाया गया। बिल के आने से केंद्र को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स सब खत्म हो गए हैं। साथ ही राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स, चुंगी वगैरह सभी खत्म हो जाएंगे।