सार
कश्मीरी कॉलमिस्ट, राजनीतिक टिप्पणीकार सुनंदा वशिष्ठ ने शुक्रवार को अमेरिकी सासंद में जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के झूठ की पोल खोल दी। सुनंदा ने पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में फैलाए गए आतंकवाद की कोशिशों को लेकर जमकर निशाना साधा।
वॉशिंगटन. कश्मीरी कॉलमिस्ट, राजनीतिक टिप्पणीकार सुनंदा वशिष्ठ ने शुक्रवार को अमेरिकी सासंद में जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के झूठ की पोल खोल दी। सुनंदा ने पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में फैलाए गए आतंकवाद की कोशिशों को लेकर जमकर निशाना साधा। सुनंदा ने कहा कि कश्मीरियों ने उसी तरह का आतंक और अत्याचार झेला, जैसा इस्लामिक स्टेट सीरिया में अंजाम दिया गया।
सुनंदा अमेरिकी कांग्रेस के मानवाधिकार संबंधी कमीशन में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति पर उठ रहे सवालों पर जवाब दे रही थीं।
आतंक का शिकार हुए लोगों की आवाज बनकर बोलीं वशिष्ठ
सुनंदा वशिष्ठ ने कहा, ''मैं कश्मीर की अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से हूं। मैं यहां इसलिए बोल रही हूं क्यों कि मैं जिंदा हूं। मैं उस गिरिजा टिक्कू की बात कर रही हूं। वह सीधी साधी लैब असिस्टेंट थी। वह उतनी खुशनसीब नहीं थी, जितनी मैं हूं। उसका अपहरण हुआ, गैंगरेप हुआ। उसे जिंदा आरी मशीन में दो टुकड़ों में काट दिया गया। उसका गुनाह सिर्फ उसका धर्म था। आज में उसकी आवाज हूं। इसके अलावा मैं आज उस नौजवान कश्मीरी हिंदू इंजीनियर की आवाज हूं, जिसे आतंकवाद ने धर्म को लेकर मार दिया। जब आतंकी उसे आतंकी मारने आए तो वह चावल के कंटेनर में छिप गए। वह भी जिंदा होता, लेकिन उसके पड़ोसियों ने उसकी पहचान बता दी। आतंकियों ने कंटेनर पर गोलियां बरसाईं। वह नौजवान मारा गया। उसकी पत्नी और परिवार वालों को उसी खून से सने चावल को खाने के लिए मजबूर किया गया। उसका नाम बीके गंजू था। आज मैं उसकी आवाज हूं।''
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भारत 5000 साल पुरानी सभ्यता- सुनंदा वशिष्ठ
उन्होंने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के फैसले से भारत को मजबूती मिली है। भारत ने कश्मीर पर कब्जा नहीं किया, वह हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहा। भारत सिर्फ 70 साल पुरानी पहचान नहीं, बल्कि 5000 साल पुरानी सभ्यता है। कश्मीर के बिना भारत नहीं है, भारत के बिना कोई कश्मीर नहीं।
कौन हैं सुनंदा वशिष्ठ?
सुनंदा वशिष्ठ एक लेखिका, राजनीतिक टिप्पणीकार हैं। वे पीड़ित कश्मीरी हिंदू हैं। अमेरिका में रहती हैं। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान दो पैनल थे। पहले पैनल ने अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की आयुक्त अरुणिमा भार्गव थीं। भार्गव ने कश्मीर में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर बात रखी। वहीं दूसरे पैनल में सुनंदा समेत 6 लोग थे।