सार
Salary Without Work: गूगल की AI यूनिट DeepMind के कुछ इंजीनियरों को बिना किसी काम के भी सैलरी मिल रही है और ये जानकर कई लोग हैरान हैं। तो सवाल उठता है कि कंपनियां ऐसा क्यों कर रही हैं?
Salary Without Work: जब दुनिया की बड़ी टेक कंपनियां छंटनी कर रही हैं, उसी वक्त गूगल एक अलग वजह से खबरों में है। रिपोर्ट्स के अनुसार, गूगल की AI यूनिट DeepMind के कुछ इंजीनियरों को फिलहाल कोई काम नहीं सौंपा गया है लेकिन इसके बावजूद उन्हें पूरे साल की सैलरी दी जा रही है।
बिना काम के पैसे दे रहा है गूगल
गूगल इन इंजीनियरों को अपनी टीम में बनाए रखना चाहता है, ताकि वे किसी दूसरी टेक या AI कंपनी का हिस्सा न बन जाएं। जब तक उन्हें कोई नया प्रोजेक्ट नहीं मिलता या कानूनी अड़चनें दूर नहीं होतीं, तब तक उन्हें "गार्डन लीव" पर रखा गया है। इसका मतलब होता है बिना काम के सैलरी देना। कंपनी चाहती है कि ये टैलेंटेड प्रोफेशनल्स भविष्य में उसके बड़े AI प्रोजेक्ट्स में योगदान दें, और दूसरी कंपनियां उनका फायदा न उठा पाएं।
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क्या है Non-Compete Agreements?
Business Insider की रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल DeepMind के कुछ पूर्व कर्मचारियों ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि यूके में DeepMind के कुछ स्टाफ को Non-Compete Agreements के तहत रखा गया है। इस तरह के समझौते के तहत कर्मचारी इस बात के लिए राज़ी होते हैं कि वे तय समय तक किसी दूसरी कंपनी में काम नहीं करेंगे। इसका मतलब यह हुआ कि वे भले ही गूगल में कोई काम न कर रहे हों, लेकिन फिर भी दूसरी कंपनियों में नहीं जा सकते।
यह मामला तब चर्चा में आया जब Microsoft AI के वाइस प्रेसिडेंट और DeepMind के पूर्व डायरेक्टर नांडो डी फ्रीटास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कुछ ऐसे कर्मचारियों की कहानियां साझा कीं, जिन्होंने उनसे संपर्क किया था। यह खुलासा दिखाता है कि कैसे गूगल अपनी AI टैलेंट को दूसरी कंपनियों में जाने से रोकने के लिए कानूनी शर्तों का सहारा ले रहा है भले ही उन्हें फिलहाल किसी प्रोजेक्ट पर न लगाया गया हो।