सार

उत्तरकाशी के सिल्कयारा के सुरंग (Uttarakhand Tunnel Rescue operation) में फंसे 41 मजदूरों को बाहर आने के लिए क्रिसमस तक इंतजार करना पड़ सकता है। मैन्युअल ड्रिलिंग या ऊपर से 86 मीटर नीचे तक ड्रिलिंग, अब इन दो विकल्पों पर काम चल रहा है।

उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिल्कयारा में ध्वस्त सुरंग (Uttarkashi Silkyara tunnel) में फंसे 41 मजदूरों को बाहर आने के लिए क्रिसमस तक इंतजार करना होगा। मलबे में ड्रिलिंग कर 800 mm का लोहे का पाइप डाल रही ऑगर मशीन के ब्लेड शनिवार को मलबे में फंस गए। इससे मशीन तबाह हो गई। अब सुरंग में ऊपर से खुदाई कर रास्ता तैयार किया जा रहा है। इसके चलते मजदूरों को बचाने में 13 दिन से लेकर कई सप्ताह तक का समय लग सकता है।

बचाव कार्य में लगे अधिकारी अब दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पहला है मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में मैन्युअल ड्रिलिंग या ऊपर से 86 मीटर नीचे ड्रिलिंग। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा है कि हमें धैर्य रखना होगा। इस ऑपरेशन में लंबा समय लग सकता है। वहीं, मौके पर मौजूद अंतरराष्ट्रीय सुरंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने "क्रिसमस तक" मजदूरों को बाहर निकालने का अपना वादा दोहराया है।

मैन्युअल ड्रिलिंग में लगेगा वक्त 
मैन्युअल ड्रिलिंग में पहले से खुदाई किए गए 47 मीटर के हिस्से में इंसान द्वारा आगे की खुदाई की जाएगी। जगह इतनी तंग है कि एक बार में एक व्यक्ति खुदाई के लिए जा सकता है। उसे अपने साथ ऑक्सीजन ले जाना होगा। वह ऑक्सीजन भी एक घंटे ही चलेगा। इसका मतलब है कि हर एक घंटे में खुदाई करने वाले व्यक्ति को बदलना होगा। इससे खुदाई की रफ्तार धीमी होगी।

ऊपर से नीचे की ओर होगी खुदाई 
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार मैन्युअल ड्रिलिंग ऑगर मशीन से मलबे में फंसे हिस्सों को बाहर लाने के बाद शुरू होगी। दूसरी ओर सुरंग तक पहुंचने के लिए ऊपर से नीचे की ओर खुदाई के लिए भारी मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। शनिवार को उन्हें खुदाई वाली जगह पर पहुंचाया गया। जल्द ही खुदाई शुरू होगी। इसमें कोई बाधा नहीं आती है तो खुदाई तेजी से होगी और जल्द ही मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा।

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड टनल में फंसे 41 मजदूरों के परिजन की टूट रही आस, रेस्क्यू ऑपरेशन का प्लान ए फेल, अब दूसरे प्लान की तैयारी

शुक्रवार को लगभग पूरे दिन ड्रिलिंग ठप रही। समस्या की गंभीरता का पता शनिवार को चला जब अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ डिक्स ने बताया कि ऑगर मशीन "खराब" हो गई है। शनिवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि सुरंग में फंसे ऑगर मशीन के हिस्से को निकालने के लिए हवाई मार्ग से हैदराबाद से प्लाज्मा कटर लाया जा रहा है। ऑगर मशीन के पूर्जे निकालने जाने के बाद मैनुअल ड्रिलिंग शुरू होगी।

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने का अभियान फिर शुरू, 9 मीटर दूर है पाइप