सार
फीफा वर्ल्डकप 2022 में यह शॉकिंग वारदात दिल दहला देने वाली है। ग्रुप स्टेज के मैच में ईरान और वेल्स की टीमें हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो चुकी हैं। वहीं खबर है कि ईरान की हार का जश्न मनाने वाले ईरानी युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
FIFA Worl Cup 2022 Updates. फीफा वर्ल्डकप 2022 में यह शॉकिंग वारदात दिल दहला देने वाली है। ग्रुप स्टेज के मैच में ईरान और वेल्स की टीमें हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो चुकी हैं। वहीं खबर है कि ईरान की हार का जश्न मनाने वाले ईरानी युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। दरअसल, ग्रुप स्टेज के मैच में अमेरिका ने ईरान को 1-0 से हरा दिया जिसके बाद ईरान की टीम फीफा वर्ल्डकप से बाहर हो गई है। वहीं अमेरिकी टीम ने राउंड-16 में सीधे एंट्री कर ली है।
सुरक्षाबलों ने मारी युवक को गोली
रिपोर्ट्स की मानें तो फीफा वर्ल्डकप में ईरान की हार का जश्न एक ईरानी युवक ही मना रहा था। युवक का नाम महरान समक बताया गया है जो करीब 27 साल का था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वह युवक अपनी कार की हॉर्न को तेज-तेज बजा रहा था। साथ ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी सामने आया जिसमें वह केक काटकर टीम की हार का जश्न मनाता दिख रहा है, हालांकि यह वीडियो कब का है, यह क्लीयर नहीं हो पाया है। ईरान के एक फुटबॉलर ने भी मृत समक को अपना दोस्त बताया है।
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Les forces de sécurité iraniennes l'ont tué. Son crime, il célébrait la défaite de l'équipe de football de la république islamique #MashaAmini @AlinejadMasih pic.twitter.com/VgNdffLWPM
— L'important (@Limportant_fr) November 30, 2022
ईरान ह्यूमन राइट्स का दावा
ओस्लो के संगठन ईरान ह्यूमन राइट्स ने भी यह दावा किया है कि समक को सुरक्षाबलों ने ईरान की हार पर जश्न मनाने की वजह से गोली मार दी। वहीं अमेरिकी संगठन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स इन ईरान ने भी इस घटना की पुष्टि की है। हालांकि ईरान की तरफ अभी इस मामले में कुछ भी नहीं कहा गया है लेकिन यह मामला सोशल मीडिया पर काफी गर्म हो चुका है और चर्चा में आ गया है।
ईरान में चल रहे हैं विरोध-प्रदर्शन
ईरान में महसा अमीनी की मौत के बाद से ही विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। महसा अमीनी ईरानी सिटी साकेज की कुर्द महिला थीं और एक प्रदर्शन के दौरान उन्हें गंभीर चोटें आई और हॉस्पिटल में अमीनी की मौत हो गई। दरअसल, ईरान की पुलिस का दावा है कि अमीनी ने ड्रेस कोड का उल्लंघन किया था और बुरका न पहनने की वजह से उन्हें गिरफ्तार किया गया था। जबकि प्रदर्शनकारी इस घटना के लिए पुलिस को ही दोषी ठहरा रहे हैं।
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