सार

टोक्यो जाने वाले भारतीय दल से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बात की। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि दीपिका की स्टोरी प्रेरणादायक है। दीपिका की मां हमेशा से उसे डॉक्टर बनने का सपना देख रही थीं। 

स्पोर्ट्स डेस्क. तीरंदाज दीपिका कुमारी (Deepika Kumari) राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार पदक जीता है। दीपिका कुमारी ने पेरिस में तीरंदाजी विश्व कप स्टेज 3 में महिला व्यक्तिगत रिकर्व स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। अब दीपिका से टोक्यो ओलंपिक में पदक की उम्मीद है। टोक्यो जाने वाले भारतीय दल से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बात की। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि दीपिका की स्टोरी प्रेरणादायक है। आइए जानते हैं दीपिका कुमारी कैसे तय किया टोक्यो ओलंपिक का सफर।

पिता चलाते थे रिक्शा
दीपिका के पिता शिव नारायण महतो एक ऑटो-रिक्शा ड्राइवर के रूप में काम करते थे। वहीं, उनकी मां गीता महतो एक मेडिकल कॉलेज में ग्रुप डी कर्मचारी के रूप में काम करती हैं। उनकी मां हमेशा दीपिका के डॉक्टर बनने का सपना देखती थीं। उसके चचेरे भाई ने तीरंदाजी एकेडमी में दाखिला कराया था और उसे कहानियां सुनाते थे। दीपिका ने लक्ष्य के रूप में घरेलू उपकरण और आम का उपयोग करके प्रशिक्षण शुरू किया।

मां बनाना चाहती थी डॉक्टर
दीपिका की मां हमेशा से उसे डॉक्टर बनने का सपना देख रही थीं। दीपिका के चचेरे भाई ने 11 साल की बच्ची को टाटा तीरंदाजी अकादमी में एडमिशन दिलाया था। दीपिका ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनका जन्म एक चलते हुए ऑटो में हुआ था क्योंकि उनकी मां अस्पताल नहीं पहुंच पायी थीं। 14 साल की उम्र में पहली बार धनुष-बाण उठाने वाली दीपिका का तीरंदाजी की दुनिया में प्रवेश भी संयोगवश हुआ और उन्होंने अपनी शुरुआत बांस के बने धनुष बाण से की।

 
भारतीय दल में 126 खिलाड़ी शामिल
पीएम मोदी के साथ इस कार्यक्रम में युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर शामिल और राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक और लॉ मिनिस्टर किरण रिजिजू भी शामिल हुए। भारत के 126 खिलाड़ी 18 तरह के खेलों में हिस्सा लेंगे। यह किसी भी ओलंपिक में भारत भेजने वाला अब तक का सबसे बड़ा दल है। 18 तरह के खेल में 69 cumulative events में भारतीय खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। यह भी देश के लिए अब तक का सबसे अधिक है।