सार

हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एचपीएनएलयू) की छात्राओं ने कुलपति को पत्र लिखा है। छात्राओं ने विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर के खिलाफ छात्राओं द्वारा दर्ज कराई गई यौन उत्पीड़न की शिकायत मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन पर निष्क्रियता का आरोप लगाया है।

शिमला (Himachal Pradesh). हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एचपीएनएलयू) की छात्राओं ने कुलपति को पत्र लिखा है। छात्राओं ने विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर के खिलाफ छात्राओं द्वारा दर्ज कराई गई यौन उत्पीड़न की शिकायत मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन पर निष्क्रियता का आरोप लगाया है। लॉ यूनिवर्सिटी में कई बैचों की 70 से अधिक छात्राओं ने 28 सितंबर, 2022 को प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया है कि आंतरिक शिकायत समिति के अध्यक्ष को यौन उत्पीड़न की इस शिकायत के होने के तुंरत बाद ही बदल दिया गया था और पहले से कोई नोटिस भी नहीं दी गई थी।  

गौरतलब है कि बीते 28 सितंबर 2022 को एचपीएनएलयू में अलग-अलग की बैच की 70 से अधिक छात्राओं ने यूनिवर्सिटी के एक टीचिंग स्टाफ आयुष राज के खिलाफ औपचारिक शिकायत दराज करवाई थी। छात्राओं ने प्रोफेसर आयुष राज पर बैड टच का आरोप लगाया था। इस मामले की शिकायत कुलपति से करने के साथ ही शिकायत करने वाली छात्राओं ने प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। जिसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा मामले में कहा गया था कि आरोपी प्रोफेसर अब किसी भी एकेडमिक फैकल्टी में नहीं रहेगा। 

नहीं हुई आरोपी प्रोफेसर पर कोई कार्रवाई 
छात्राओं ने हाल ही में कुलपति को दिए शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि आरोपी प्रोफेसर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। वह अब भी टीचिंग फैकल्टी में ही है और उसके खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया गया है। और तो और आरोपी प्रोफेसर को एग्जाम पेपर सेट करने का प्रभार भी दे दिया गया है। छात्राओं का कहना है कि आरोपी प्रोफेसर को इस तरह की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने से उन्हें खतरे की आशंका  है।  

अब किसी मामले की शिकायत दर्ज करने में भी लगेगा डर- शिकायकर्ता 
छात्राओं द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जांच समिति के अध्यक्ष को बिना किसी नोटिस को हटा दिया गया, आरोपी प्रोफेसर को फिर से सारे पद दिए गए बल्कि और अधिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के साथ वापस लाया गया, ऐसे में लगता है कि उनकी शिकायत पर प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है और सारा निर्णय पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का हिस्सा है। पत्र में कहा गया है कि अगर इस तरह का रवैया रहा तो कभी कोई भी पीड़ित शिकायत करने भी डरेगा।