सार
यूपीएससी परीक्षा के लिए दूसरे की पहचान का इस्तेमाल करने वाले आईआरएस पर मामला दर्ज।
नई दिल्ली: सीबीआई ने भारतीय राजस्व सेवा के एक अधिकारी के खिलाफ वर्ष 2007 में यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होने के लिए खुद से पांच साल छोटे व्यक्ति की पहचान का इस्तेमाल करने के आरोप में मामला दर्ज किया है। उन्होंने बताया कि जांच एजेंसी ने 2007 बैच के सीमाशुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क के आईआरएस अधिकारी के खिलाफ केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए फर्जी जन्मतिथि एवं शैक्षणिक प्रमाणपत्र जमा करने के आरोप में मामला दर्ज किया है।
सिविल सेवा की परिक्षा पास करने के लिए अपनाया गलत तरीका
जानकारी के अनुसार, कुमार का नाम राजेश कुमार शर्मा है, लेकिन 2007 में अधिक उम्र होने के कारण वह परीक्षा में शामिल होने का पात्र नहीं था इसलिए उसने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए नवनीत कुमार नाम का इस्तेमाल किया। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि 15 जून, 1980 को जन्मे नवनीत ने 1996 में हाई स्कूल उत्तीर्ण किया और 2003 एवं 2008 में क्रमश: इंटरमीडिएट और स्नातक किया। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि शर्मा ने 1991 में 10वीं जबकि 1993 में बेतिया से सीबीएसई बोर्ड से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी।
जांच एजेंसी ने किया खुलासा
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोप लगाया, ‘‘जब राजेश शर्मा की यूपीएससी परीक्षा के लिए उम्रसीमा अधिक हो गई तो उसने अपनी पहचान बदलकर नवनीत कुमार के नाम पर प्रमाण पत्र हासिल किया। इसमें पिता एवं घर का पता वही रखा। ’’ उन्होंने बताया कि बेतिया के उप निर्वाचन अधिकारी की ओर से जारी प्रमाणपत्रों एवं ग्राम प्रमुख तथा पूर्व ग्राम प्रमुख एवं अन्य ग्रामीणों के बयानों से से यह पता चला कि राजेश कुमार शर्मा ने नवनीत कुमार की पहचान अपनाई थी। जांच एजेंसी ने पाया कि कुमार ने विभाग में 2003 से अब तक जन्म प्रमाणपत्र और इंटरमीडिएट की परीक्षा का कोई प्रमाणपत्र जमा नहीं कराया है।
उन्होंने बताया कि सीबीआई ने यह भी पाया कि परीक्षा बोर्ड बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने भी कुमार के बारे में आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने में सहयोग नहीं किया।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)