सार

नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद से पंजाब की सियासत में भूचाल आ गया है। राज्य में करीब 4 महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन कांग्रेस की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। सीएम चरणजीत सिंह चन्नी से लेकर राज्य के तमाम मंत्री सिद्धू को मानने की कोशिश में लगे हुए हैं।

अमृतसर. नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद से पंजाब की सियासत में भूचाल आ गया है। राज्य में करीब 4 महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन कांग्रेस की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। सीएम चरणजीत सिंह चन्नी से लेकर राज्य के तमाम मंत्री सिद्धू को मानने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसी बीच सूत्रों के हवाले से खबर सामने आई है कि सिद्धू तभी अपना इस्तीफा वापस लेंगे जब उनकी तीन शर्तें मानी जाएंगी।

सिद्धू ने खुद बताई अपनी नारजगी की वजह
दरअसल, मीडिया में खबरें चल रही हैं कि और उनके गुट के नेताओं का कहना है कि सिद्धू अपना इस्तीफा वापस ले सकते हैं, अगर पार्टी उनकी बातों को मान ले। वहीं सिद्धू ने खुद इस्तीफा देने के 24 घंटे बाद ही  एक वीडियो शेयर करके नाराजगी जाहिर की है। सिद्धू ने कहा-मेरा 17 साल का राजनीतिक सफर एक मकसद के लिए रहा। पंजाब के लोगों की ज़िन्दगी को बेहतर करना और मुद्दों की राजनीति पर स्टैंड लेकर खड़ा रहना यही मेरा धर्म है। मेरी आज तक किसी से कोई निजी लड़ाई नहीं रही।

पहला शर्त-सिद्धू नहीं चाहते हैं कि पंजाब कैबिनेट में राणा गुरजीत सिंह मंत्री बने रहने। राणा को चन्नी कैबिनेट से हटाया जाए। क्योंकि सिद्धू के मुताबिक, पोर्टफोलिया नहीं बांटा गया ।

दूसरी शर्त- इकबालप्रीत सिंह सहोता को डीजीपी पद से हटाने की मांग है। क्योंकि उनके मना करने के बाद उनको नियुक्ति दे दी गई। सहोता ने ही बादल सरकार के दौरान हुए फायरिंग मामले की जांच की और उन्होने इस कमेटी की अगुवाई की थी। 

तीसरी शर्त- एडवोकेट जनरल एपीएस देओल को पद से हटाना है। सिद्धू चाहते थे कि डीएस पटवालिया एडवोकेट जनरल बनाया जाए। लेकिन सीएम चन्नी इस बात पर सहमत नहीं थे और अमरप्रीत सिंह देयोल को एडवोकेट जनरल बना दिया गया।

सीएम ने बुलाई हाईलेवल मीटिंग
बता दें कि सिद्धू के इस्तीफे के बाद बुधवार दोपहर को पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने हाईलेवल की बैठक बुलाई है। जिसमें डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा और मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा शामिल हैं। बता दें कि यह दोनों नेता वहीं हैं जिन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को कुर्सी से हटाने के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई थी।

आलाकमान ने सिद्धू से बातचीत करना किया बंद
सूत्रों के मुताबिकच सिद्धू इस रवैये से पार्टी आलाकमान बेहद नाराज हैं। बताया जा रहा है कि अब तक दिल्ली हाईकमान ने उनसे कोई बातचीत भी नहीं की है, साथ ही सिद्धू का इस्तीफा भी स्वीकार नहीं किया है। यहां तक कहा जा रहा है कि पार्टी सिद्धू को नहीं मनाएगी। इतना ही नहीं पार्टी ने पंजाब में नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए मंथन भी शुरू कर दिया है। 

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