सार
राजस्थान में नकल करने वाले नकलिचियों पर प्रदेश सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। इन आरोपियों की जनकारी 15 स्टेट को भेजी गई है। इसके चलते अब ये आरोपी पूरे जीवन अब किसी सरकारी भर्ती में शामिल नहीं हो सकेंगे।
जयपुर (jaipur). राजस्थान में हुए द्वितीय श्रेणी भर्ती परीक्षा में नकल गिरोह में शामिल 46 परीक्षार्थियों को आजीवन भर्ती परीक्षाओं में सम्मिलित होने से बाहर कर दिया गया है। पहली बार राजस्थान सरकार ने किसी परीक्षा में पेपर लीक करने वालों या नकल करने वालों के खिलाफ इतना बड़ा एक्शन लिया है। साथ ही पेपर लीक करने वाले फरार मास्टर माइंड दो आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर दिए गए हैं। अब राज्य भर में इनकी प्रॉपर्टी तलाश की जा रही है।
पेपर लीक मामले में नकल गिरोह पर दर्ज किए केस
उदयपुर के एसपी विकास शर्मा ने बताया कि हाल ही में आयोजित हुई द्वितीय श्रेणी भर्ती परीक्षा के संबंध में 23 दिसम्बर को नकल गिरोह के विरुद्ध दो प्रकरण दर्ज करते हुये कुल 57 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर सभी को न्यायिक हिरासत में भिजवाया गया।
15 राज्यों में बैन हुए ये नकलची
इन अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हुए कुल 46 परीक्षार्थियो के संबंध में राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड, जयपुर को उनकी सूचना भिजवाते हुए उनको आजीवन भर्ती परीक्षाओं में सम्मिलित होने से डिबार किया जाने का अनुरोध किया गया। जिस पर चयन बोर्ड द्वारा उक्त समस्त 46 परीक्षार्थियो को आजीवन राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती परीक्षाओं से विवर्जित किया गया है। इन अभ्यर्थियों के बारे में राजस्थान ही नहीं राजस्थान के अलावा देश के चौदह अन्य राज्यों में भी जानकारी भेजी गई है कि ये किसी भी राज्य में सरकारी परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे। इनमें दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, यूपी, एमपी, बिहार, छत्तीसगढ़ समेत अन्य कई हिंदी भाषी राज्य शामिल हैं।
मुख्य आरोपी के खिलाफ वारंट हुए जारी
उधर इस मामले के बाद अब फरार चल रहे मास्टर माइंड भूपेन्द्र विश्नोई निवासी जालोर और सुरेश ढाका निवासी जालोर के खिलाफ गिरफ्तारी वांरट जारी करवाये जाकर दोनो की तलाश की जा रही है। उक्त हर दोनो की सरगर्मी से तलाश की जा रही है। दोनो की प्रॉपर्टी भी सीज की जा रही है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में पिछले दस साल में बारह बड़ी परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं और इनमें नकल गिरोह भी पकडे गए हैं। लेकिन इनमें से अधिकतर मामलों मंे नकल करने वालों को परीक्षाओं से डीबार नहीं किया गया है। यह पहली बार है कि इस तरह का सख्त कदम उठाया गया है।
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