सार
एक ऐसा मामला जिसमें कोर्ट ने थानाधिकार को आदेश दिया की वो अपनी व उससे मामले में जुड़े सात अपराधियों के खिलाफ अपने ही पदस्थ थाने में रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच कर सबूत कोर्ट में पेश करे।
जयपुर.ऐसा किसी किस्से कहानी जैसा ही लगा जब राजस्थान की राजधानी की अधीस्थ कोर्ट ने शहर के एक थानाधिकारी को उसी के ही थाने में खुद के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हो। कोर्ट ने एस एच ओ को खुद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहां हो बल्कि मामलें की जांच करके रिपोर्ट भी अदालत में पेश करने के लिए कहा है। दरअसल मैटर मानसरोवर थाने से जुड़ा है जहां थाने के एसएचओ दिलीप सोनी को कोर्ट के आदेश पर स्वयं सहित 7 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करना है। कुश जांगिड़ कि कम्पलेन पर कोर्ट ने यह ऑर्डर दिया है। कम्पलेन करने वाले के वकील पदम सिंह गुर्जर ने बताया कि पीड़ित ने मान्यावास, मानसरोवर में कुछ जमीन अपने भाई के नाम से खरीदी थी और इस जमीन पर घर बनाकर अपने परिवार के साथ रह रहा था।
मुकेश कुमार और उसके साथ जुड़े लोगों ने मानसरोवर टीआई के साथ मिलकर पीड़ित के घर के फेक डॉक्यूमेंट बनवा लिए ।साथ ही पीड़ित पर ही किसी और का मकान हड़पने का केस थाने में दर्ज करवा दिया। जब परिवादी ने इन लोगों के खिलाफ केश दर्ज करवाने थाने गया तो उसका केश वहां दर्ज नहीं किया गया।
कोर्ट में दिखाए घर के ओरिजिनल डॉक्यूमेंट
पीड़ित ने कोर्ट में अपने घर को असली डॉक्यूमेंट दिखाते हुए बताया कि उसने मानसरोवर स्थित मान्यावास में मकान नं. A-56 को अक्टूबर 2021 में खरीदा था। उसने आगे बताया कि उसके घर के आस-पास ही मुकेश कुमार, रामवतार सैनी, दिलीप सोनी, अनिल कुमार और अन्य लोगों ने मकान नम्बर A-39,40 और 41 पर अवैध कब्ज़ा कर रखा है। यहां वे देर रात तक शराब पार्टी करते हैं। जिससे परेशान होकर एक दिन परिवादी ने उन्हें टोका तो मुकेश कुमार व अन्य ने उसे धमकाते हुए कहा कि 7 दिन में तेरे मकान के कागज बनाकर उस पर भी कब्जा कर लेंगे। जिस दिन यह बहस हुई उस दिन मौके पर दो-तीन पुलिसकर्मी सहित थानाधिकारी दिलीप सोनी भी थे।
सब जगह से परेशान होकर अदालत का दरवाजा खटखटाया
पीड़ित ने बताया कि उसने आरोपियों के साजिश और फर्जीवाड़े की रिटन कम्पलेन मानसरोवर थाने पर की, लेकिन दिलीप सोनी खुद षड़यंत्र में शामिल थे। ऐसे में उन्होंने मामला दर्ज नहीं किया। उसके बाद 31 मार्च को रजिस्टर्ड डाक से थाने पर कम्पलेन भेजी, लेकिन उस पर भी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। 4 अप्रैल को रजिस्टर्ड डाक से डीसीपी साउथ को मामले की जानकारी दी और रिपोर्ट दर्ज करने की रिक्वेस्ट की लेकिन उन्होने इसमे कोई रुचि नहीं दिखाई तब पीड़ित ने आखिर में न्याय पाने के लिए कोर्ट की शरण ली और जस्टिस की मांग की । जहां से निचली अदालत ने टीआई सहित सातों आरोपियों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए है।