सार

जैसे ही बारात चली तो हर कोई ठिठक कर इस दृश्य को देखने लगा। लोग इसे ना केवल एकटक देखते रहे बल्कि इस लम्हे को अपने-अपने मोबाइल में कैद भी करने लगे। सभी यही बात करने लगे की बारातें बहुत सी देखीं, लेकिन ऐसा दृश्य सालों बाद देखने को मिला है। लोग अपने दादा-परदादा का विवाह याद कर इसका वीडियो सोशल मीडिया पर भी शेयर करने में लगे हुए हैं।

भीलवाड़ा (राजस्थान). हर कोई अपनी शादी को यादगार और खास बनाने के लिए करोंड़ों रुपए पानी की तरह बहा देता है। कोई हेलिकॉप्टर से बरात लगाता है तो कोई लग्जरी कार से दुल्हनियां को लाता है। इसी बीच राजस्थान के भीलवाड़ा से एक अनोखी शादी हुई, जो इन दिनों चर्चा में बनी हुई है। जिसे देखकर लोगों को अपने दादा-परदादा का  दौर आद आ गया। जहां दूल्हा सजी-धजी 11 बैलगाड़ियों से अपनी दुल्हनिया को लेने पहुंचा हुआ था।

सालों बाद लोगों को दिखा ऐसा उद्भभुत नजारा
दरअसल, यह शादी भीलवाड़ा जिले इरास ग्राम पंचायत में रविवार को अनोखे अंदाज में संपन्न हुई। जहां पर दूल्हा अपनी दुल्हन को लेने बैलगाड़ी से पहुंचा हुआ था। पूरी बारात रामपुरिया गांव से बैलगाड़ियों पर ही निकली हुई थी। बाकायदा पीछे-पीछे गाजे-बाजे बज रहे थे। हालांकि दूल्हे के घर से दुल्हन गांव की दूरी महज आधा किलोमीटर ही थी।

हर कोई बारात को एकटक देखता रहा
जैसे ही बारात चली तो हर कोई ठिठक कर इस दृश्य को देखने लगा। लोग इसे ना केवल एकटक देखते रहे बल्कि इस लम्हे को अपने-अपने मोबाइल में कैद भी करने लगे। सभी यही बात करने लगे की बारातें बहुत सी देखीं, लेकिन ऐसा दृश्य सालों बाद देखने को मिला है। लोग अपने दादा-परदादा का विवाह याद कर इसका वीडियो सोशल मीडिया पर भी शेयर करने में लगे हुए हैं।

बैलगाड़ी पर बैठी दुल्हन का नहीं रहा खुशी का ठिकाना
बता दें कि दूल्हा प्रभु कुमावत चाहता था कि वह अपने दादाजी की तरह ही उनके अंदाज में अपनी दुल्हनिया को घर लेकर आएगा। उन्होंने कहा कि अपने नाना और दादा से बैलगाड़ी पर बारात निकलने की बातें बचपन में सुनी थीं। जिसको आज मैंने पूरा भी कर दिया। जब दुल्हन मीना कुमावत बैलगाड़ी पर बैठकर ससुराल पहुंची तो उसका खुशी का ठिकाना नहीं था। दुल्हन ने कहा-यह सवारी पूरी जिंदगीभर याद रहेगी। इसके आगे तो करोड़ों की कार और हेलिकॉप्टर भी फैल है।

बैलों की घुंघरू की आवाज पर नाचते रहे बाराती
वहीं दूल्हे के पिता भंवर कुमावत ने कहा कि जब बेटे ने बैलगाड़ी से बारात लगाने की इच्छा जताई तो मैं भावुक हो गया। किसी तरह से 22 बैलों की 11 बैलगाड़ियां तैयार की गईं। सभी बग्गियों को फूल-मलाओं से सजाया गया। बैलों के गले में घंटी और उनके पैरों में  घुंघरू बांधे गए। रास्ते भर बाराती बैलों के पैरों पर बंधे घुंघरू की आवाज पर नाचते रहे।