सार
राजस्थान के झुंझुनूं जिले एक मां के संघर्ष की कहानी सामने आई है। जहां आठवी पास मां ने संकल्प किया कि वह तो नहीं पढ़ सकी, लेकिन बच्चों को जरूर पढ़ाएगी। दिन-रात मेहनत करके अपने बेटा और बेटी को आईएएस व आईपीएस बना दिया।
झुंझुनूं. राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक मां की कसक ने दो बेटों को कामयाबी के शिखर पर काबिज कर दिया। मां महज आठवीं तक पढ़ी है। पर कम पढ़े लिखे होने की इसी खलिश में उसने अपने बेटे व बेटी को बड़ी शिद्दत से पढ़ाया। जिसका ही नतीजा निकला कि आज बेटा आईपीएस तो बेटी आईएएस है। जी हां, मेहनत की मूरत ये मां अलसीसर की नजदीकी रामू की ढाणी निवासी सावित्री देवी है। जिनकी लगन के पीछे ही उनके बेटे अनिल व बेटी मंजू ने पहले एमबीबीएस किया। बाद में आईएएस व आईपीएस के बड़े लक्ष्य तक पहुंचे।
आठवीं पास होने के दर्द ने दिलाया मुकाम
झुंझुनूं जिले के कालेरों का बास में जन्मी सावित्री देवी महज आठवीं तक पढ़ी है। जिसमें भी चुनिंदा दिन ही स्कूल गई। जल्द शादी के बाद अलसीसर ससुराल हुआ तो बड़े कस्बे में लोगों को पढ़-लिखकर नाम कमाते देखा। बच्चों को हर दिन स्कूल जाते हुए देखती तो मन में कम पढ़े लिखे होने की पीड़ा होती। लेकिन, तभी संकल्प किया कि बच्चों को जरूर पढ़ाएगी। इसके बाद से ही सावित्री ने बच्चों की पढ़ाई व दिनचर्या पर पूरा फोकस शुरू कर दिया।
चार किलोमीटर पैदल छोड़कर आती स्कूल
सावित्री ने बेटे अनिल कुमार व बेटी मंजू को पहले तो ढाणी की स्कूल में ही पढ़ाया। बाद में पांचवी के बाद घर से करीब चार किमी दूर स्कूल में प्रवेश करवाया। जहां वह खुद उन्हें पैदल चलकर छोडऩे जाती। बच्चों को स्कूल से छुट्टी नहीं करने देती व अगले दिन का पाठ भी पहले ही पढ़वाकर घर से भेजती। उनकी दिनचर्या व संगति का भी ध्यान रखती। इसी का नतीजा निकला कि बेटे अनिल ने 1995 में पहले दसवीं और 12वीं में मेरिट हासिल की। बाद में एमबीबीएस की पढ़ाई के साथ आईपीएस परीक्षा पास की। जबकि बेटी मंजू ने भी एमबीबीएस के बाद आईएएस में चयन हासिल कर लिया।
एक ही दिन बेटे व बेटी बने आईएएस व आईपीएस
सावित्री की मेहनत के साथ एक अजब संयोग भी जुड़ा है। बकौल सावित्री उनका बेटा अनिल व बेटी मंजू एक साथ ही आईपीएस व आईएएस बने। जिसके बाद दोनों ने मसूरी में एक साथ एक बैच में ट्रेनिंग पूरी की। सावित्री कहती है कि यही दिन उनकी जिंदगी व जीत का सबसे बड़ा दिन था। अनिल कुमार कानपुर के भदोई में एसपी व मंजू अलवर में यूआईटी सचिव है। पर अब भी वह दोनों बच्चों से रोजाना वीडियो कॉल पर बात कर उनकी दिनचर्या व खान पान पर पूरी निगरानी रखती है।