सार
Cheti Chand 2024: भगवान झूलेलाल सिंधी समाज के आराध्य देवता हैं। चैत्र मास की द्वितिया तिथि को इनकी जयंती पूरे देश में धूम-धाम से मनाई जाती है। इस पर्व को चेटी चंड भी कहा जाता है।
Cheti Chand 2024 Kab Hai: सिंधी समाज द्वारा हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को भगवान झूलेलाल की जयंती मनाई जाती है। इस उत्सव को चेटी चंड भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है चैत्र का चांद। भगवान झूलेलाल सिंधी समाज के आराध्य देवता हैं। सिंधी समाज द्वारा पूरे देश में इस दिन विभिन्न आयोजन किए जाते हैं। मान्यता के अनुसार, सिंध के लोगों को क्रूर शासक से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान झूलेलाल ने अवतार लिया था। आगे जानिए किसके अवतार हैं भगवान झूलेलाल और इस बार कब इनकी जयंती मनाई जाएगी…
कब है झूलेलाल जयंती 2024? (Jhulelal Jayanti 2024 Kab Hai)
झूलेलाल जयंती चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 10 अप्रैल, बुधवार को है, इसलिए झूलेलाल जयंती का पर्व भी इसी दिन मनाई जाएगी। इस दिन भगवान झूलेलाल की झांकी और जुलूस आदि निकाले जाते हैं। सिंधी मंदिरों में विशेष पूजा आदि भी की जाती है।
किसके अवतार हैं भगवान झूलेलाल? (Story of Lord Jhulelal)
- सिंधी मान्यताओं के अनुसार, संवत् 1007 में सिंध देश ठट्टा नगर में मिरखशाह नाम का एक मुगल सम्राट था। वह बहुत ही क्रूर था और अन्य धर्म के लोगों को डरा-धमकाकर इस्लाम स्वीकार करवाता था।
- उसके अत्याचारों से परेशान होकर एक दिन सभी लोग सिंधु नदी के तट पर इकट्ठा हुए और भगवान को याद करन लगे। तभी उन्हें मछली पर सवार एक अद्भुत आकृति सिंध नदी में दिखाई दी।
- तभी आकाशवाणी हुई कि ‘मानवता की रक्षा के लिए मैं 7 दिन बाद श्रीरतनराय के घर में जन्म लूंगा।’ जैसा आकाशवाणी ने कहा ठीक वैसा ही हुआ। रतनरायजी ने अपने बेटे का नाम उदयचंद रखा।
- जब ये बात मुगल राजा मिरखशाह को पता चली तो उसने उदयचंद को मारने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो पाया। थोड़े ही समय में वो बालक युवा हो गया और अपनी सेना तैयार की।
- उदयचंद ने अपनी सेना के साथ मिरखशाह को हरा दिया। 1020 भाद्रपद की शुक्ल चतुर्दशी के दिन अन्तर्धान हो गए। सिंधी समाज द्वारा इन्हें ही झूलेलाल, उडेरोलाल आदि नामों से पूजा जाता है।
ये है भगवान झूलेलाल की आरती
ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा ॥
तुहिंजे दर दे केई, सजण अचनि सवाली ।
दान वठन सभु दिलि, सां कोन दिठुभ खाली ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा...॥
अंधड़नि खे दिनव, अखडियूँ - दुखियनि खे दारुं ।
पाए मन जूं मुरादूं, सेवक कनि थारू ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा...॥
फल फूलमेवा सब्जिऊ, पोखनि मंझि पचिन ।
तुहिजे महिर मयासा अन्न, बि आपर अपार थियनी ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा...॥
ज्योति जगे थी जगु में, लाल तुहिंजी लाली ।
अमरलाल अचु मूं वटी, हे विश्व संदा वाली ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा...॥
जगु जा जीव सभेई, पाणिअ बिन प्यास ।
जेठानंद आनंद कर, पूरन करियो आशा ॥
ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा ॥
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