सार
Ram Mandir Ayodhya: 22 जनवरी को अयोध्या मंदिर में राम लला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस मौके पर घर-घर में रामजी की पूजा भी की जा सकती है। राम की पूजा का विधान बहुत ही सरल है।
Kaise Kare Ram Lalla ki Puja: 22 जनवरी, सोमवार को अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में राम लला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। पहले दिन सिर्फ आमंत्रित लोग ही मंदिर में पूजा-पाठ कर पाएंगे, अगले दिन से यानी 23 जनवरी से आम लोग भी राम लला के दर्शन कर पाएंगे। 22 जनवरी को आप अपने घर पर भी भगवान श्रीराम की पूजा कर सकते हैं, इससे भी आपको शुभ फल मिलेंगे। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा से जानिए राम लला के पूजन की विधि, शुभ मुहूर्त और आरती सहित पूरी डिटेल…
राम लला पूजन के शुभ मुहूर्त (Ram Lalla Puja Muhurat 22 January 2024)
22 जनवरी की दोपहर अभिजीत मुहूर्त में अयोध्या में राम लला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इस दौरान आप भी अपने घर में पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा पूजा के अन्य मुहूर्त इस प्रकार हैं-
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:16 से 12:59 तक
अमृत मुहूर्त- सुबह 07:13 से 08:34 तक
शुभ मुहूर्त- सुबह 09:56 से 11:17 तक
अमृत मुहूर्त- शाम 04:41 से 06:02 तक
इस विधि से करें राम लला की पूजा (Ram Lalla Pujan Vidhi)
- 22 जनवरी, सोमवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पूजा-व्रत आदि का संकल्प लें। घर की अच्छे से साफ-सफाई करें।
- घर के किसी विशेष हिस्से को गोमूत्र या गंगाजल से पवित्र करें। शुभ मुहूर्त में यहां बाजोट यानी पटिया स्थापित करें। इस पर साफ कपड़ा बिछाएं।
- इस बाजोट पर राम लला यानी भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। सबसे पहले कुमकुम से तिलक करें।
- गाय के शुद्ध घी का दीपक लगाएं और फूलों का हार पहनाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, रोली आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- राम लला को पीले वस्त्र और जनेऊ अर्पित करें। बिना सुपारी का पान चढ़ाएं।पूजा के दौरान ऊं रां रामाय नम: मंत्र का जाप करते रहें।
- राम लला को केसरिया खीर का भोग लगाएं, फलों का भोग भी लगा सकते हैं। इस तरह पूजा करने के बाद राम लला की आरती करें।
राम लला की आरती (Ram Lalla Ki Aarti)
आरती कीजे श्रीरामलला की ।
पूण निपुण धनुवेद कला की ॥
धनुष वान कर सोहत नीके ।
शोभा कोटि मदन मद फीके ॥
सुभग सिंहासन आप बिराजैं ।
वाम भाग वैदेही राजैं ॥
कर जोरे रिपुहन हनुमाना ।
भरत लखन सेवत बिधि नाना ॥
शिव अज नारद गुन गन गावैं ।
निगम नेति कह पार न पावैं ॥
नाम प्रभाव सकल जग जानैं ।
शेष महेश गनेस बखानैं ॥
भगत कामतरु पूरणकामा ।
दया क्षमा करुना गुन धामा ॥
सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा ।
राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ॥
खेल खेल महु सिंधु बधाये ।
लोक सकल अनुपम यश छाये ॥
दुर्गम गढ़ लंका पति मारे ।
सुर नर मुनि सबके भय टारे ॥
देवन थापि सुजस विस्तारे ।
कोटिक दीन मलीन उधारे ॥
कपि केवट खग निसचर केरे ।
करि करुना दुःख दोष निवेरे ॥
देत सदा दासन्ह को माना ।
जगतपूज भे कपि हनुमाना ॥
आरत दीन सदा सत्कारे ।
तिहुपुर होत राम जयकारे ॥
कौसल्यादि सकल महतारी ।
दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ॥
सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई ।
आरति करत बहुत सुख पाई ॥
धूप दीप चन्दन नैवेदा ।
मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ॥
राम लला की आरती गावै ।
राम कृपा अभिमत फल पावै ॥
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