सार

Vinayaki Chaturthi March 2023: इस बार 25 मार्च, शनिवार को विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। ये व्रिक्रम संवत 2080 का पहला विनायकी चतुर्थी व्रत रहेगा। इस दन कई शुभ योग भी रहेंगे, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ जाएगा।

 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायकी चतुर्थी व्रत (Vinayaki Chaturthi March 2023) किया जाता है। इस बार 25 मार्च, शनिवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि रहेगी, इसलिए इस दिन विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। ये विक्रम संवत 2080 का पहला विनायकी चतुर्थी व्रत रहेगा। इस दिन कई शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इस व्रत का महत्व और भी अधिक रहेगा। आगे जानिए इस व्रत पर कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे और पूजा विधि…

ये योग बनेंगे विनायकी चतुर्थी पर (Vinayaki Chaturthi March 2023 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 मार्च, शुक्रवार की शाम 05:00 बजे से 25 मार्च, शनिवार की शाम 04:23 तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का सूर्योदय 25 मार्च को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से ध्वज और बुधादित्य नाम के 2 शुभ योग रहेंगे, जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाएगा।

ये है विनायकी चतुर्थी व्रत-पूजा की विधि (Vinayaki Chaturthi March 2023 Puja Vidhi)
- 25 मार्च, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और इसके बाद सबसे पहले व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- दिन भर ज्यादा किसी से बात न करें। कोई बुरा विचार मन में न लाएं। क्रोध न करें। किसी की जुगली न करें।
- शाम को चंद्रमा उदय होने से पहले हाथ-पैर धोकर शुद्ध हो जाएं और घर में किसी साफ स्थान पर एक चौकी स्थापित करें।
- इस चौकी के ऊपर लाल या सफेद कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीगणेश का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें।
- सबसे पहले भगवान की प्रतिमा या चित्र को तिलक लगाएं फिर फूलों की माला पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक लगाएं।
- इसके बाद अबीर, दूर्वा, कुंकुम, रोली, हल्दी आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग लगाएं।
- चंद्रमा उदय होने पर जल से अर्ध्य दें। किसी ब्राह्मण को अपनी इच्छा अनुसार दान-दक्षिणा दें और इसके बाद स्वयं भोजन करें।

भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥



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