सार
Baisakhi 2025: बैसाखी सिक्खों के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये पर्व हर साल अप्रैल महीने में मनाया जाता है। बैसाखी पंजाब का लोक उत्सव भी है, जिसे सभी लोग मिल-जुलकर मनाते हैं।
Baisakhi 2025: सिक्ख धर्म में साल भर में कई त्योहार मनाए जाते हैं, इनमें से बैसाखी भी एक है। वैसे तो ये सिक्खों के त्योहार है लेकिन हमारे देश में इसे सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर मनाते हैं। बैसाखी की सबसे ज्यादा रौनक पंजाब और इसके आस-पास के क्षेत्रों में देखी जाती है। इस दिन लोग परंपरागत गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं भी देते हैं। बैसाखी क्यों मनाते हैं, इसके पीछे एक नहीं बल्कि कईं कारण हैं। जानें साल 2025 में कब है बैसाखी और क्यों मनाते हैं ये पर्व…
कब है बैसाखी 2025?
बैसाखी का त्योहार हिंदू कैलेंडर के दूसरे महीने वैशाख के पहले दिन मनाया जाता है। वैशाख मास तब शुरू होता है जब सूर्य मीन से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करता है। इस बार वैशाख मास की शुरूआत 13 अप्रैल, रविवार से हो रही है, इसलिए बैसाखी उत्सव भी इसी दिन मनाया जाएगा।
क्यों मनाते हैं बैसाखी?
बैसाखी मनाने के पीछे वैसे तो कईं कारण है, लेकिन सबसे मुख्य कारण है कि इस दिन सूर्य अपना एक राशि चक्र पूर्ण कर लेता है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो इस दिन से नया सौर वर्ष शुरू होता है। पंजाब में इस दिन से नववर्ष की शुरूआत मानी जाती है। नए साल की खुशी में बैसाखी उत्सव मनाया जाता है।
बैसाखी का एक कारण ये भी
पंजाब में अप्रैल महीने में फसल पककर तैयार होती है। इस खुशी में वहां के किसान नाचते-गाते और खुशियां मनाते हैं, साथ ही एक-दूसरे को बधाइयां भी देते हैं। कुल मिलाकर बैसाखी पर्व नाचने-गाने और नई फसल की खुशी में मनाया जाता है। बैसाखी के मौके पर मेलों का आयोजन भी किया जाता है।
खालसा पंथ की स्थापना भी इसी दिन हुई थी
बैसाखी से एक और घटना भी जुड़ी है। सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने सन 1699 में बैसाखी के दिन ही खालसा पंथ की नींव रखी थी। इसलिए बैसाखी को मौके पर गुरु गोविंद सिंह को जरूर याद किया जाता है। इस दिन जुलूस निकाले जाते हैं व अन्य आयोजन भी होते हैं।
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