सार
Hindu Tradition: हर महीने के दोनों पक्षों (शुक्ल और कृष्ण) के ग्यारहवें दिन एकादशी तिथि आती है। हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन कई चीजें खाने की मनाही है जैसे चावल, पान आदि। इसके पीछे कई कारण हैं।
उज्जैन. हिंदू धर्म में हर तिथि का अलग-अलग महत्व बताया गया है। एकादशी तिथि भी इनमें से एक है। इस तिथि पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा की परंपरा है। और भी कई परंपराएं (Hindu Tradition) और मान्यताएं इस तिथि से जुड़ी हुई हैं, जो इसे खास बनाती है। इस दिन जो लोग व्रत नहीं करते, वे भी खाने में कुछ चीजों का त्याग करते हैं जैसे चावल, पान आदि। ऐसा क्यों किया जाता है, इसके पीछे वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कई कारण हैं। आगे जानिए वो कौन-सी चीजें हैं जो एकादशी पर नहीं खाना चाहिए और क्यों…
एकादशी पर चावल क्यों नहीं खाते? (Why not eat rice on Ekadashi?)
एकादशी पर चावल भूलकर भी नहीं खाते, इसके पीछे कई मान्यताएं जुड़ी हैं। पहली मान्यता धार्मिक है, उसके अनुसार, जो लोग एकादशी पर चावल खाते हैं, उन्हें अगले जन्म में रेंगने वाले जीवन के रूप में जन्म लेना पड़ता है। इस मान्यता के कारण अधिकांश लोग एकादशी पर चावल खाने से बचते हैं। दूसरा कारण वैज्ञानिक है, उसके अनुसार, चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण इस पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक होता है। एकादशी पर चंद्रमा का बल अधिक होने से जल तत्वों को अपनी ओर आकर्षित करता है, जिससे मन विचलित होता है व अन्य मानसिक परेशानियां उत्पन्न होती हैं। इसलिए एकादशी पर चावल नहीं खाए जाते।
एकादशी पर पान क्यों नहीं खाते? (Why don't you eat betel leaf on Ekadashi?)
एकादशी पर पान खाने की भी मनाही है, इसके पीछे मनोवैज्ञानिक पक्ष छिपा है। पान राजसी भोजन के अंतर्गत आता है, जबकि एकादशी पर पूर्ण रूप से सात्विक भोजन की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी पर पान खाने से राजसी प्रवृत्ति बढ़ती है जिससे मन में गलत विचार आते हैं, यही विचार बुरे कामों की ओर प्रेरित करते हैं। जबकि एकादशी पर सात्विक भोजन करने से मन काबू में रहता है, इसलिए एकादशी पर पाने खाने की मनाही है।
एकादशी पर ये चीजें भी खाने से बचें
एकादशी पर मांसाहार तो भूलकर भी नहीं खाया जाता, लेकिन लहसुन-प्याज व गर्म मसालों से बने व्यंजन भी इस दिन नहीं खाना चाहिए। ऐसी चीजें खाने से शरीर में उत्तेजना बढ़ती है और मन ईश्वर भक्ति में नहीं लगता। मन के विचलित होने से कई तरह की परेशानियां बढ़ती हैं। इसलिए हमारे महापुरुषों ने एकादशी पर खाने से जुड़े ये नियम बनाए ताकि जो लोग उपवास न करें, उनका मन भी गलत कामों और विचारों की ओर न भटके।
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