सार
Raja KhetSingh Khangar Jayanti 2024: हमारे देश में अनेक प्राचीन किले हैं। गढ़कुण्डार का किला भी इनमें से एक है। इस किले से जुड़ी अनेक रहस्यमयी कथाएं प्रचलित हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं। इस किले में देवी का एक प्राचीन मंदिर भी है।
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मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के निवाड़ी में एक प्राचीन किला है, जिसे गढ़कुण्डार किला कहा जाता है। ये किला अपने अंदर अनेक रहस्य समेटे हुए है। किले के अंदर खंगार समाज की कुलदेवी मां गजानन का मंदिर भी है। इस किले की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें कईं सेनाएं एक साथ समा सकती है। हर साल 27 दिसंबर को यहां राजा खेतसिंह की स्मृति में सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं। आगे जानिए क्यों खास है ये किला…
पूरी बारात हो गई थी गायब
गढ़कुण्डार किले के बारे में कहा जाता है कि एक बार जब इस गांव में एक बारात आई तो वे सभी इस किले के देखने अंदर गए। 5 मंजिले इस किले की 2 मंजिलें जमीन के अंदर हैं। जब बारात किले को देखते हुए तलघर में गईं सभी लोग वहीं गायब हो गए। जिसका बाद में कोई पता नहीं चला। इस घटना के बाद किले के नीचे के दरवाजों पर ताला लगा दिया गया। इस किले में राजा का खजाना होने की की बात भी कही जाती है।
किले में है देवी गजानन का प्राचीन मंदिर
गढ़कुण्डार किले के अंदर खंगार वंश की कुलदेवी मां गजानन का प्राचीन मंदिर है। आज भी रोज हजारों लोग यहां माता के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा कहते हैं कि जब मुगलों से खंगार राजाओं का युद्ध हुआ तो मुगल किसी भी तरह इस युद्ध को जीत नहीं पा रहे थे। तब उन्होंने गाय का खून माता के मंदिर पर छिड़क दिया, जिससे देवी यहां से चली गई और खंगार राजा हार गए।
कौन थे राजा खेतसिंह खंगार?
इतिहासकारों के अनुसार, राजा खेतसिंह पृथ्वीराज चौहान के प्रमुख सेनापतियों में से एक थे। जब पृथ्वीराज चौहान ने उत्तर प्रदेश के महोबा पर कब्जा किया तो उनकी नजर मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में बने गढ़कुंडार के इस किले पर भी पड़ी। सम्राट पृथ्वीराज ने अपने विश्वस्त सेनापति खेतसिंह खंगार को यहां का किलेदार बना दिया। पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद खेतसिंह खंगार ने खुद को गढ़कुंडार का राजा घोषित कर दिया और खंगार राजवंश की नींव रखी। इस वंश की चार पीढ़ियों ने गढ़कुंडार पर शासन किया।
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