सार

Vat Savitri Vrat 2023 Date: पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए महिलाओं द्वारा कई व्रत किए जाते हैं, वट सावित्री व्रत भी इनमें से एक है। ये व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर किया जाता है। इस व्रत का महत्व कई ग्रंथों में बताया गया है।

 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों में अनेक पतिव्रता महिलाओं के बारे में वर्णन मिलता है, सावित्री भी इनमें से एक है। सावित्री अपनी सूझ-बूझ से यमराज से भी अपने पति के प्राण वापस ले आई थी। (Vat Savitri Vrat 2023 Date) हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर सावित्री की पूजा की जाती है और वट सावित्री व्रत किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पति की उम्र बढ़ती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। जानें साल 2023 में कब किया जाएगा वट सावित्री व्रत…

इस दिन किया जाएगा वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2023 Date)
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर किया जाता है। इस बार ये तिथि 18 मई, गुरुवार की रात 09:43 से शुरू होगी, जो 19 मई, शुक्रवार की रात 09:23 तक रहेगी। चूंकि अमावस्या तिथि का सूर्योदय 19 मई को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन कृत्तिका नक्षत्र दिन भर रहेगा, जिससे छत्र नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा शोभन नाम का एक अन्य शुभ योग भी शाम 06.16 तक रहेगा।

जानें वट सावित्री व्रत की कथा (Vat Savitri Vrat Katha)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भद्र देश के राजा अश्वपति की पुत्री का नाम सावित्री था। विवाह योग्य होने पर सावित्री ने साल्व देश के राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को अपना जीवनसाथी चुना। लेकिन दुश्मनों द्वारा राज्य छिन लेने पर वे अत्यंत दयनीय अवस्था में वन में रहते थे। नारद मुनि ने सावित्री को बताया कि सत्यवान की उम्र अधिक नहीं है। लेकिन इसके बाद भी सावित्री ने सत्यवान से विवाह किया। सत्यवान की मृत्यु तिथि आने पर सावित्री भी उसके साथ जंगल में गई। यहां लकड़ियां काटते समय सत्यवान की मृ्त्यु हो गई। तभी यमराज आए और सत्यवान के प्राण निकालकर ले जाने लगे। सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चलने लगी। यमराज ने सावित्री को कई वरदान दिए और सावित्री की जिद के हारकर उन्हें सत्यवान के प्राण भी छोड़ने पड़े।

वट सावित्री व्रत का महत्व (Vat Savitri Vrat Importance)
वट सावित्री व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गाय है। इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है। योग्य संतान की प्राप्ति के लिए भी ये व्रत किया जाता है। मान्यता है कि जिस तरह सावित्री अपने पति के प्राण यमराज से वापस ले आई थी, उसी तरह इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं के पति को भी यमराज लंबी आयु का वरदान देते हैं।


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