सार

इस बार 16 दिसंबर, सोमवार से खर मास शुरू हो रहा है, जो पूरे एक महीना का यानी 14 जनवरी 2025 तक रहेगा। कुछ लोग इसे मल मास भी कहते हैं, जबकि खर मास और मल मास में काफी अंतर है।

 

What is the difference between Khar Maas and Mal Maas: हम सभी ने अपने जीवन में कभी न कभी खर मास और मल मास के बारे में जरूर सुना होगा। अधिकांश लोग इन दोनों को एक ही समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। खर मास और मल मास दोनों अलग-अलग हैं। खर मास जहां साल में 2 बार आता है, वहीं मल मास 3 साल में एक बार। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानिए क्या है खर मास और मल मास में अंतर…

क्या है खर मास, साल में कब-कब आता है?

ज्योतिषाचार्य पं. द्विवेदी के अनुसार, सूर्य एक राशि में 30 दिन तक रहता है। सूर्य जब 12 राशियों का एक चक्र पूरा कर लेता है तो इसे एक सौर वर्ष कहते हैं, ये समय लगभग 365 दिनों का होता है। जब भी सूर्य गुरु के स्वामित्व की राशि धनु और मीन में प्रवेश करता है तो इसे खर मास कहते हैं। साल में 2 बार ऐसी स्थिति बनती है। पहला खर मास मार्च से अप्रैल के बीच और दूसरा दिसंबर से जनवरी के बीच होता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं जैसे विवाह आदि नहीं किए जाते।

क्या है मल मास, ये कब आता है?

मल मास का धार्मिक के साथ-साथ ज्योतिषीय महत्व भी है। मल मास को ही अधिक मास और पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं, ये 3 साल में एक बार आता है। इस महीने में भी कोई शुभ कार्य जैसे विवाह आदि नहीं किए जाते। इस महीने के स्वामी स्वयं भगवान विष्णु हैं। इसलिए इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

क्यों जरूरी है अधिक मास?

ज्योतिषियों के अनुसार, चंद्रमा को पृथ्वी के 12 चक्कर लगाने में 355 दिन का समय लगता है और पृथ्वी को सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन का। इस तरह हर साल चंद्र वर्ष और सूर्य वर्ष में 10 दिनों का अंतर आ जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए अधिक मास की व्यवस्था की गई। अधिक मास की व्यवस्था होने के कारण ही सभी हिंदू व्रत-त्योहार निश्चित ऋतुओं में मनाए जाते हैं। अगर ऐसा न हो तो सभी त्योहारों के ऋतु समय में अंतर आ सकता है।


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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।