सार

what is bhadra kaal: ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे नक्षत्र, करण व योगों के बारे में बताया गया है, जिनमें कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही है। भद्रा भी ऐसा ही समय है। कोई भी शुभ कार्य करते समय भद्रा का विचार जरूर किया जाता है। 
 

उज्जैन. ज्योतिषियों के अनुसार हर साल होली और रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2022) पर भद्रा का योग बनता है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है, जिसके चलते इस पर्व को मनाने को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद है। पंचांग के अनुसार, इस बार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त, गुरुवार की सुबह 09:35 से आरंभ होगी, जो 12 अगस्त की सुबह 07.16 तक रहेगी। वहीं, भद्रा काल 11 अगस्त की सुबह 10.38 से शुरू होकर रात 08.25 तक रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार भद्रा काल में रक्षाबंधन पर्व मनाने ही मनाही है। इसलिए 11 अगस्त को भद्रा समाप्त होने के बाद ही ये पर्व मनाया जाना चाहिए। आगे जानिए क्या है भद्रा और इस समय राखी बांधना क्यों अशुभ माना जाता है…

रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त
11 अगस्त, गुरुवार की रात भद्रा समाप्त होने के बाद रात 08.30 से 09.55 के बीच रक्षाबंधन पर्व मनाना शुभ रहेगा। 12 अगस्त, शुक्रवार की सुबह 07.05 से पहले भी राखी बांधी जा सकती है।

शनिदेव की बहन हैं भद्रा (Who is Bhadra?)
पुराणों के अनुसार, भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनि की बहन है। कोई भी शुभ काम करते समय भद्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में इसे अशुभ माना गया है। शनि की तरह ही इनका स्वभाव भी क्रोधी है। मान्यताओं के अनुसार, पैदा होते ही भद्रा संसार को खाने के लिए दौड़ी, ये देख सभी देवता आदि डर गए। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया है।
 

ज्योतिष में भद्रा का महत्व (importance of bhadra in astrology)
ज्योतिष शास्त्र में पंचांग के 5 प्रमुख अंग माने गए हैं, ये हैं- तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इनमें से करण तिथि का आधा भाग होता है। करण की संख्या 11 होती है। विष्टि भी इनमें से एक है। इसे ही भद्रा भी कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अलग-अलग राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती है। जब भद्रा पृथ्वी पर होती है शुभ कामों में बाधा डालती है और अगर कोई शुभ कार्य इस दौरान किए जाए तो उसका अशुभ फल मिलता है।

ये हैं भद्रा के 12 नाम (12 names of Bhadra)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्रा के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भद्रा के 12 नाम बोलने चाहिएं। ये 12 नाम हैं- धन्या, दधिमुखी, भद्रा, महामारी, खरानना, कालरात्रि, महारुद्रा, विष्टि, कुलपुत्रिका, भैरवी, महाकाली तथा असुरक्षयकरी। रोज सुबह नियमित रूप से ये 12 नाम बोलने से भद्रा से संबंधित अशुभ फल में कमी आ सकती है और किसी तरह का कोई नहीं रहता। इस उपाय से सभी ग्रह भी अनुकूल फल देने लगते हैं।

भद्रा के दौरान कौन-से शुभ काम कर सकते हैं और कौन-से नहीं? 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्रा काल के दौरान विवाह, मुण्डन, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित, शुभ काम के लिए यात्रा आदि नहीं करना चाहिए। इस दौरान होलिका दहन और रक्षाबंधन भी करने की मनाही है। लेकिन भद्रा काल के दौरान किसी पर मुकदमा, शत्रु से युद्ध, राजनीति से जुड़े काम, ऑपरेशन और वाहन खरीदे जा सकते हैं।


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