सार

Vinayaki Chaturthi November 2022: प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश की पूजा मुख्य रूप से की जाती है और शाम को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही व्रत पूर्ण होता है।
 

उज्जैन. इस बार 27 नवंबर, रविवार को विनायकी चतुर्थी (Vinayaki Chaturthi November 2022) व्रत किया जाएगा। इसे वरद चतुर्थी भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ये व्रत किया जाता है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है और व्रत भी रखा जाता है। शाम को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही व्रत संपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुासर, इस दिन वृद्धि, रवि, सर्वार्थसिद्धि और शुभ नाम के 4 योग दिन भर रहेंगे और पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11.06 से दोपहर 01.12 तक रहेगा। आगे जानिए इस व्रत की पूजा विधि, महत्व और व अन्य खास बातें…

इस विधि से करें भगवान श्रीगणेश की पूजा (Vinayaki Chaturthi November 2022 Puja Vidhi)
रविवार की सुबह जल्दी स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। घर में किसी स्थान की साफ-सफाई करके वहां चौकी लगाएं और उसके ऊपर सफेद कपड़ा बिछाकर गणेश प्रतिमा स्थापित करें। श्रीगणेश को माला पहनाएं, शुद्ध घी का दीपक जलाएं। कुंकुम से तिलक करें। अबीर, गुलाल, कुंकम, चंदन आदि चीजें चढ़ाएं। इसके बाद मौसमी फल व पकवानों का भोग लगाएं। दूर्वा भी विशेष रूप से अर्पित करें। अंत में आरती कर प्रसाद बांट दें। शाम को चंद्रमा उदय होने पर अर्घ्य दें और इसके बाद ही भोजन करें। 

भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥



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