सार

विनोद कांबली सचिन तेंदुलकर के बचपन के मित्र रहे हैं। कांबली के पास क्रिकेट खेलने की अद्भुत कला थी, लेकिन इसके बावजूद भी वह एक दशक भी नहीं खेल पाए।

 

Rahul Dravid video on Vinod Kambli: महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की मुलाकात जब से विनोद कांबली से हुई है उसे समय से उनके मिलने का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है और दोनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। उन्हें लेकर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं। यह कोई नया मामला नहीं है, बल्कि काफी पुराना है जो कई सालों से चला आ रहा है। टीम इंडिया के पूर्व कोच राहुल द्रविड़ ने एक बार सार्वजनिक तौर पर ऑनेस्ट रूप से अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने अपनी बातों में बताया था कि अनिल कुंबले की पहले ही गगनचुंबी छक्का डरने वाले विनोद कांबली और क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर में क्या अंतर है और अभी दोनों जिस स्थान पर हैं इसका मुख्य कारण क्या है।

क्रिकेट में आते ही मचाया था तूफान

विनोद कांबली को मास्टर ब्लास्टर के बचपन का दोस्त बताया जाता है जिन्होंने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखते ही तूफान ला दिया था। उन्होंने अपने प्रदर्शन से सब को चौंकाया, लेकिन लंबे समय तक वह बरकरार नहीं रह पाए। कांबली ने अपने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत वर्ष 1991 में की थी और अपने इस दौर में उन्होंने 104 एकदिवसीय तथा 17 टेस्ट मैच भारत के लिए खेला। भारतीय टीम के लिए दीवार कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ ने एक उदाहरण दिया था कि विनोद कांबली में बल्लेबाजी करने की अद्भुत कला थी। लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर इसके लिए क्या करना होता है उसके बारे में शायद इन्हें पता नहीं।

हमारा टैलेंट देखने का नजरिया अलग

राहुल द्रविड़ वीडियो में बताते हैं कि "टैलेंट को अपने का हमारा नजरिया बहुत अलग है। हम टैलेंट को किस तरह से देखते हैं? मेरे द्वारा भी यही गलती हुई। हम क्रिकेट में टैलेंट को बल्लेबाजों को गेंद को मारने की क्षमता से देखते हैं। क्रिकेट में क्लास और टाइमिंग यही एक चीज है जिसे हम प्रतिभा मानते हैं। लेकिन साहस, प्रतिबद्ध, अनुशासन, व्यवहार आदि भी प्रतिभाएं एक खिलाड़ी के लिए होती हैं। जब हम टैलेंट का आकलन करते हैं मेरा यह मानना है कि इन सभी चीजों को देखना चाहिए।

 

 

उनके पास नहीं था कुछ अलग टैलेंट

इस वीडियो में पूर्व भारतीय कोच द्रविड़ का कहना है कि "कई बल्लेबाजों के पास बाल को टाइम करने और जोरदार प्रहार करने की क्षमता होती है। सौरव गांगुली कवर ड्राइव को अच्छी टाइमिंग करते थे। वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर के पास भी यह कला थी। आप गौतम गंभीर जैसे क्रिकेटर के बारे में इसकी चर्चा नहीं करेंगे। ऐसा नहीं है कि गंभीर काम प्रतिभा वाले खिलाड़ी हैं, लेकिन हम इसी नजरिए से देखते हैं। हम टैलेंट के दूसरे रूप को वास्तव में देख ही नहीं पाते हैं और सवाल खड़े करते हैं कि टैलेंटेड खिलाड़ी को जगह नहीं मिली। हम इन सभी चीजों को देखते हैं, लेकिन विनोद में कुछ अलग तरह का टैलेंट नहीं था।"

त्याग के प्रति नहीं था समर्पण

राहुल द्रविड़ ने बताया कि "विनोद से मैं मिला हूं और वह एक अच्छे इंसान है। उनके पास बॉल को मारने की पूरी काबिलियत थी। आज भी मेरे यादों में राजकोट का एक मैच याद है। कांबली ने जवागल श्रीनाथ और कमले के खिलाफ 150 रनों की पारी खेली थी। जब पहली गेंद कुंबले ने डाली तो, उन्होंने सीधा पत्थर की दीवार पर मार दिया। राजकोट में एक पत्थर की दीवार हुआ करती थी। उनके इस अद्भुत शॉर्ट से हम सभी हैरान थे अब उनसे सवाल भी किए थे कि आप ऐसा कैसे कर लेते हैं? लेकिन शायद इसके अलावा अन्य चीजों में उनके पास कलाएं नहीं थी, जया जान पाए की एक इंटरनैशनल स्तर पर खेलने के लिए एक खिलाड़ी को क्या त्याग करना पड़ता है।"

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