सार

आईओए प्रमुख को लिखे पत्र में खेल मंत्रालय ने कहा कि अस्थायी पैनल, एथलीटों के सेलेक्शन सहित डब्ल्यूएफआई के मामलों का प्रबंधन और नियंत्रण करेगा।

WFI Suspension inside story: भारतीय कुश्ती संघ की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी और अध्यक्ष संजय सिंह को खेल मंत्रालय ने सस्पेंड कर दिया है। तीन दिनों में ही नई कार्यकारिणी के सस्पेंशन के बाद महासंघ की गतिविधियों के संचालन के लिए अब पैनल का गठन किया जाएगा। खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ को कुश्ती महासंघ के संचालन के लिए पैनल गठित करने का आदेश दिया है। आईओए प्रमुख को लिखे पत्र में खेल मंत्रालय ने कहा कि अस्थायी पैनल, एथलीटों के सेलेक्शन सहित डब्ल्यूएफआई के मामलों का प्रबंधन और नियंत्रण करेगा।

खेल मंत्रालय के अवर सचिव तरुण पारिक ने अपने आदेश में कहा कि डब्ल्यूएफआई के पूर्व पदाधिकारियों के प्रभाव और नियंत्रण से उत्पन्न मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, भारतीय कुश्ती महासंघ के शासन और अखंडता के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं। इसके लिए खेल संगठनों में सुशासन के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए तत्काल और कड़े सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता है। अब यह आईओए की जिम्मेदारी बन गई है कि वह डब्ल्यूएफआई के मामलों के प्रबंधन के लिए अंतरिम अवधि के लिए उपयुक्त व्यवस्था करे ताकि कुश्ती अनुशासन के खिलाड़ियों को किसी भी तरह से नुकसान नहीं होता है और सुशासन का सिद्धांत यह है कि खेल निकाय को कोई खतरा नहीं हो।

अस्थायी पैनल का क्या होगा काम?

IOA द्वारा गठित अस्थायी पैनल WFI के रोजमर्रा के मामलों को देखेगा। इसमें इंटरनेशनल आयोजनों में अपने खिलाड़ियों को भेजने से लेकर खेल आयोजनों के लिए ट्रायल व प्रतियोगिताएं कराना शामिल है।

महासंघ का फिर चुनाव संभावित !

भारतीय कुश्ती महासंघ की नई कार्यकारिणी के सस्पेंड किए जाने के बाद यह संभावित है कि पुन: चुनाव कराए जाने का आदेश जारी हो साथ ही बृजभूषण शरण सिंह के करीबियों को इससे दूर रखा जाए। हालांकि, अभी पैनल घोषित करने के साथ सरकार, पहलवानों का भरोसा जीतने की कोशिश में है।

दरअसल, यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद बवाल तो मचा ही था। सरकार दबाव में उस समय आ गई जब नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह ने बृजभूषण शरण सिंह का दबदबा दिखाने के लिए आगामी जूनियर ट्रॉयल व प्रतियोगिताओं के लिए नंदिनीनगर का ऐलान कर दिया। नंदिनीनगर यूपी के गोंडा में है। यह बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह का कार्यक्षेत्र है। उधर, साक्षी मलिक ने कुश्ती के सन्यास के ऐलान के बाद जूनियर पहलवानों के नंदिनीनगर में जाने और उनके मानसिक स्थिति को लेकर सवाल कर दिए। आयोजन के फैसले के बाद देशभर के खिलाड़ी और खेल प्रेमियों का मन मस्तिष्क आशंकाओं से घिर गया।

इसके बाद केंद्र सरकार आई हरकत में...

महासंघ की नई कार्यकारिणी के फैसलों के बाद बढ़ते जनाक्रोश से केंद्र सरकार भी दबाव में आ गई। रविवार को आनन फानन में भारतीय कुश्ती महासंघ की निर्वाचित कार्यकारिणी को सस्पेंड करते हुए अध्यक्ष संजय सिंह के फैसलों पर रोक लगा दी। खेल मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि नवनिर्वाचित निकाय खेल संहिता की पूरी तरह अनदेखी करते हुए पूर्व पदाधिकारियों पर पूर्ण नियंत्रण रखता है। मंत्रालय ने कहा, डब्ल्यूएफआई अभी भी पूर्व पदाधिकारियों द्वारा नियंत्रित परिसर से चलाया जा रहा है। यह कथित परिसर भी है जिसमें खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है और मामले की सुनवाई अदालत में जारी है।

दरअसल, छह बार के सांसद बृज भूषण शरण सिंह को उस समय पद से हटना पड़ा जब साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट सहित देश के शीर्ष पहलवानों ने उन पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। भाजपा सांसद के खिलाफ कार्रवाई की मांग के लिए सैकड़ों की संख्या में पहलवान जनवरी में सड़कों पर उतरे थे। सरकार के आश्वासन के बाद पहलवानों ने आंदोलन स्थगित कर दिया। लेकिन तीन दिनों पहले ही फेडरेशन के चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह ने एकतरफा जीत हासिल कर ली। इसके बाद कुश्ती जगत में हड़कंप मच गया। इस जीत के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने दबदबा कायम होने वाला बयान तो दिया ही उनके समर्थक भी इसे दोहराते हुए बढ़ चढ़कर बयान देने लगे थे।

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