सार

नागालैंड के एकमात्र पैरा एथलीट और भारतीय सेना के हवलदार होकाटो सेम ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में शॉट पुट एफ 57 कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है।

स्पोर्ट्स डेस्क। मजबूत हौसले, पक्के इरादे और कड़ी मेहनत के सामने हर मुश्किल छोटी साबित होती है। नागालैंड के एकमात्र पैरा एथलीट ने यह साबित भी कर दिया है। पेरिस पैरालंपिक 2024 में नागालैंड के होकाटो सेम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए देश के लिए एक ब्रॉन्ड मेडल जीता है। होकाटो इंडियन आर्मी में हवलदार थे और सेना के एक ऑपरेशन के दौरान उन्होंने अपना बांया पैर गंवा दिया था। हादसे के बाद भी उन्होंने जीवन में कभी हार नहीं मानी और देश के लिए कुछ बड़ा करने की ठान ली और पेरालंपिक में शॉट पुट एफ 57 कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता।

पैरालंपिक में किया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
होकाटो ने पैरेालंपिक शॉट पुट प्रतियोगि ता के फाइनल में अपने करिअर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 14.65 मीटर थ्रो किया और बॉन्ज मेडल पर कब्जा कर लिया। उन्होंने अपने दूसरे अटेम्ट में ही 14 मीटर का आंकड़ा छू लिया था। तीसरे प्रयास में 14.40 मीटर थ्रो किया और फिर चौथे प्रयास में और बेहतर प्रदर्शन कर मेडल जीत लिया। नागालैंड के डिमनापुर निवासी होकाटो ने पिछले साल हांग्जो पैरा स्पोर्ट्स में 13.88 मीटर थ्रो कर कांस्य पदक जीता था।

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2002 के मिलिट्री ऑपरेशन में गंवाया बांया पैर
नागालैंड के इस पैरा एथलीट ने शुरू से ही देश सेवा में ही लगे थे। 17 साल की उम्र में होकाटो ने आर्मी ज्वाइन कर ली थी। वह सेना में हवलदार के पद पर तैनात थे। वर्ष 2002 में जम्मू कश्मीर में आतंकी वारदातों के बीच वह सेना के लैंडमाइन्स ब्लास्ट ऑपरेशन में शामिल थे। विस्फोट में होकाटो को अपना बांया पैर गवाना पड़ गया।  

पैर गंवाए लेकिन नहीं टूटने दिया हौसला
सेना के ऑपरेशन में पैर गंवाने के बाद भी होकटो का हौसला नहीं टूटा। उन्होंने रास्ते तलाशने शुरु किए और पैरालंपिक में हिस्सा लेकर देश का नाम रोशन करने का सोच लिया। पुणे के आर्टिफिशियल लिम्ब सेंटर के एक अधिकारी ने उनकी फिटनेस को देखते हुए शॉट पुट गेम के लिए इनकरेज किया। 2016 में 32 साल की उम्र में उन्होंने ट्रेनिंग शुरू की जयपुर में आयोजित राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया।