सार

बिहार के राजनीतिक दलों में जेडीयू सबसे धनवान है। भाजपा उससे काफी पीछे है। फिर भी पैसों के मामले में दूसरे नम्बर पर है। उसके बैंक खाते में 51 लाख रुपये हैं। हालांकि, राष्ट्रीय पार्टियों में शुमार भाजपा देश का सबसे अमीर राजनीतिक दल है।

पटना। बिहार के राजनीतिक दलों में जेडीयू सबसे धनवान है। भाजपा उससे काफी पीछे है। फिर भी पैसों के मामले में दूसरे नम्बर पर है। उसके बैंक खाते में 51 लाख रुपये हैं। हालांकि, राष्ट्रीय पार्टियों में शुमार भाजपा देश का सबसे अमीर राजनीतिक दल है। प्रदेश की सबसे बड़ी परिवारवादी पार्टी राजद की हालत खस्ता है। हालत यह है कि खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा है। विधायकों और सांसदों के योगदान से पार्टी चल रही है। कांग्रेस अपने खर्चे के पैसे के लिए तरस रही है। उसे अपने खर्चों के लिए बार-बार दिल्ली दरबार का मुंह देखना पड़ता है। महागठबंधन के शेष​ सियासी दलों की हालत भी कमोबेश ऐसी ही है। आइए पाइंट्स में जानते हैं, सबके बारे में।

  1. जेडीयू के सदस्यों की संख्या करीब 76 लाख है। राज्य में पैसों के मामले में यही पार्टी अव्वल है। एडीआर और चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, जदयू बतौर मेंबरशिप सिर्फ 5 रूपये लेती है और विधायकों से 500 रूपये हर महीने लिया जाता है।
  2. वर्ष 2020-21 में जदयू को करोड़ो रूपये मिले थे। यह राशि 65.31 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
  3. जेडीयू के स्वैच्छिक सहयोग राशि संग्रह से लगभग 70 करोड़ रूपये एकत्रित हुए। इसकी पुष्टि तो नहीं की गई है। पर पैसों के मामले में जेडीयू को बिहार की सबसे अमीर पार्टी बताया जा रहा है।
  4. बीजेपी की बात करें तो पार्टी चंदे के भरोसे है। पार्टी की मेंबरशिप फीस पांच रुपये हैं। लगभग एक करोड़ मेंबर हैं।
  5. आजीवन सहयोग निधि के जरिए भी चंदा मिलता है। विधायक और सांसदों से भी पार्टी के खर्च के लिए रुपये लिए जाते हैं।
  6. राजद की बात करें तो तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम हैं। उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव वन एवं पर्यावरण मंत्री हैं। इसके अलावा राजद कोटे से भी मंत्री बनाए गए हैं। उसके बावजूद पार्टी के लिए अपना खर्चा उठाना भी मुश्किल हो रहा है।
  7. राजद के करीब एक करोड़ सदस्य हैं। मेंबरशिप फीस दस रुपये लिए जाते हैं। चंदे के रूप में पार्टी को कोई बड़ी रकम प्राप्त नहीं होती है। पार्टी का खर्चा विधायकों से मिले पैसों से चलता है।
  8. राजद के 79 विधायक हैं। इसके अलावा 14 एमएलसी भी हैं। उनसे हर महीने 10-10 हजार रुपये का योगदान लिया जाता है।
  9. कांग्रेस फिक्स डिपाजिट पर चल रही है। पार्टी की बिहार इकाई का बैंक में 1.55 करोड़ रुपये फिक्स है। इसके ब्याज से आने वाली राशि से ही पार्टी का रूटीन खर्च निपटाने में सहायता ली जाती है।
  10. आफिस के देख रेख का खर्च विधायकों के योगदान से निपटता है। उधर, दिल्ली दरबार से भी राज्य इकाई को पैसा दिया जाता है।