सार

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के यौन संबंधों पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। बालिग पत्नी से उसकी मर्जी के बिना संबंध बनाना अपराध नहीं माना जाएगा।

Chhattisgarh High Court Ruling: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच यौन संबंधों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि पत्नी अगर बालिग है और पति उसके साथ उसकी मर्जी के बिना भी संबंध बनाता है तो यह अपराध नहीं है। इसमें पति द्वारा किया जाने वाला अननेचुरल सेक्स भी शामिल है। 

जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने यह फैसला सुनाया है। उन्होंने जगदलपुर के एक व्यक्ति को बरी कर दिया है। उसे पहले रेप और अन्य आरोपों में दोषी ठहराया गया था। बरी किए गए व्यक्ति को 2017 में गिरफ्तार किया गया था। उसकी पत्नी की मौत हो गई थी। उसे बस्तर जिले के ट्रायल कोर्ट ने आईपीसी की धाराओं 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) और 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत दोषी ठहराया था।

पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक तो यौन संबंध को नहीं बता सकते रेप

इस मामले में हाईकोर्ट ने 19 नवंबर 2024 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया। जज ने कहा, "अगर पत्नी की उम्र 15 साल से कम नहीं है तो पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ बनाए गए यौन संबंध को रेप नहीं कहा जा सकता। इस प्रकार अननेचुरल सेक्स के लिए पत्नी की सहमति नहीं होना अपना महत्व खो देता है।"

यह भी पढ़ें- Kerala Ragging Horror: प्राइवेट पार्ट से लटकाए डंबल, चीर दिया शरीर, यूं खुली खौफनाक रैगिंग की पोल

मौत से पहले महिला ने बताया था पति ने मर्जी के खिलाफ किया गंदा काम

बरी किए गए व्यक्ति को 11 दिसंबर 2017 को गिरफ्तार किया गया था। इसी दिन उसकी पत्नी की मौत सरकारी अस्पताल में हो गई थी। मरने से पहले महिला ने कार्यकारी मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था। महिला ने दर्द की शिकायत की थी। उसने अपने परिवार को बताया था कि पति ने उसकी इच्छा के खिलाफ जाकर अननेचुरल सेक्स किया है। महिला ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में कहा था कि वह अपने पति द्वारा "जबरन यौन संबंध" बनाने के कारण बीमार हो गई है।

यह भी पढ़ें- पत्नी-प्रेमी ने मिलकर पति को मारा, स्कूटी पर ले जाकर फेंका शव

11 फरवरी 2019 को जगदलपुर में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने व्यक्ति को धारा 377, 376 और 304 आईपीसी के तहत दोषी ठहराया था। उसे 10 साल जेल की सजा सुनाई थी। उसने बिलासपुर हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी।