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- पैसे हुए खत्म और नहीं मिला काम, मालिक के टॉर्चर से बचने 1100Km पैदल चलकर घर पहुंचे मजदूर, कहानी कितनी सच्ची-झूठी?
पैसे हुए खत्म और नहीं मिला काम, मालिक के टॉर्चर से बचने 1100Km पैदल चलकर घर पहुंचे मजदूर, कहानी कितनी सच्ची-झूठी?
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कालाहांडी(Kalahandi). जब देश में 2020 को कोरोना की एंट्री हुई थी, तब लॉकडाउन के चलते मजदूरों को मीलों पैदल चलकर अपने घर पहुंचना पड़ा था। ऐसा ही एक मामला ओडिशा के कालाहांडी में सामने आया है। यहां काम न मिलने पर ओडिशा के तीन मजदूर बेंगलुरु से कालाहांडी तक करीब 1100 किमी पैदल चलकर घर पहुंचे। हालांकि जब मामला मीडिया के जरिए तूल पकड़ा, तो अफसर मजदूरों के घर गए। अब अधिकारियों ने इसे नकारते हुए एक नई बात कही है।
कालाहांडी जिले के जयपटना ब्लॉक के तिंगपटना गांव के तीन मजदूर काम की तलाश में बेंगलुरु गए थे। वहां काम नहीं मिलने पर पैसे खत्म होने की स्थिति में उन्हें पैदल ही घर लौटना पड़ा। तीनों मजदूर बिना वेतन के काम करने को मजबूर थे। उन्हें प्रताड़ित भी किया जाता था। ठीक से खाना भी नहीं देता था मालिक।
जब मजदूरों को कोई दूसरा जरिया नहीं दिखा, तो उन्होंने ओडिशा लौटने का फैसला किया। ट्रेन या बस के पैसे नहीं होने पर तीनों ने लगभग 1100 किलोमीटर की दूरी तय की और 8 दिनों में दूरी तय कर अपने गांव पहुंचे। मजदूरों की पीड़ा देखकर कुछ नेकदिल लोगों ने घर वापस जाते समय उन्हें कुछ भोजन और पैसे की पेशकश की।
प्रवासी मजदूरों के अनुसार, मनरेगा के तहत कोई काम नहीं मिलने के बाद उन्हें दिहाड़ी मजदूरों के रूप में काम करने के लिए बेंगलुरु जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। एक मजदूर ने कहा-“मैं दो महीने पहले बेंगलुरु गया था। लेकिन वहां के लेबर कांट्रेक्टर ने मुझे प्रताड़ित किया।"
हालांकि कालाहांडी प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया और उनसे मिलने पहुंचा। प्रशासन ने इसे अफवाह बताया कि वे 1100 किमी पैदल नहीं चले। वे विशाखापत्तनम से ओडिशा के कोरापुट जिले के पोट्टांगी गांव तक कुल 160 किलोमीटर पैदल चलकर आए थे। तीनों ने ट्रेन में बिना टिकट के बेंगलुरु से विशाखापत्तनम की यात्रा की थी। फिर ट्रक से नबरंगपुर क्षेत्र पहुंचे। बाद में वे ट्रैक्टर से कालाहांडी जिले के सेमेला गांव आ गए।