सार

सहारा रिफंड पोर्टल लॉन्च किए जाने के बाद से पीड़त लोगों में रुपये वापस मिलने की आस बंध गई है। उन्हें लगने लगा है कि पैसे आ जाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि  सहारा रिफंड पोर्टल पर अब तस सप्ताह भर में लगभग 70 हजार आवेदन आए।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सहारा पीड़ितों में उम्मीद की एक किरण जगाई है। उन्हें भरोसा हुआ है कि सराहा इंडिया प्रोजेक्ट में लगा पैसा वापस होगा। यही वजह है कि सहारा रिफंड पोर्टल लॉन्च करने के लगभग एक हफ्ते में ही 7 लाख लोगों ने इस पर रजिस्ट्रेशन कराया है। साथ ही कई अन्य लोग भी अपने डॉक्यूमेंट्स आदि ठीक से तैयार कर रहे हैं। 

18 जुलाई को लॉन्च हुआ पोर्टल 
सहारा ग्रुप्स की चार सहकारी समितियों में लोगों के इनवेस्ट किए पैसे रिफंड करने का प्रोसेस आसान बनाने के लिए केंद्रीय सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) सहारा रिफंड पोर्टल को 18 जुलाई को केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने लॉन्च किया था। 

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6.8 लाख ने कराया रजिस्ट्रेशन
सोमवार दोपहर तक सहारा रिफंड पोर्टल पर कुल 6.8 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें से 2.84 लाख ने वैरिफिकेशन के लिए अपना आधार नंबर दिया है। 18,442 क्लेम का वैरिफिकेशन किया जा चुका है। कुल क्लेम में से 97 फीसदी 40,000 से कम राशि के लिए हैं और 87 फीसदी ₹10,000 से भी कम राशि के लिए हैं। 10,000 रुपये से कम  कैटेगरी में क्लेम की रकम 150 करोड़ है।

डॉक्यूमेंट वैरिफिशन से जगी उम्मीद
अपने डॉक्यूमेंट वैरीफिकेशन कराने वालों में शामिल 55 वर्षीय सरस्वती देवी कहती हैं कि आठ साल में पहली बार अपना पैसा वापस मिलने की उम्मीद जगी है। मैंने सारी उम्मीद खो दी थी। मेरे पति के निधन के बाद से बिल्कुल अकेली रह रही हूं। कई समस्याएं भी झेलनी पड़ रही हैं, लेकिन अब एक आस बंधी है। 

सहारा ग्रुप्स में इन्वेस्ट करने वाले अशोक कुमार का कहना था कि एक-एक पैसे बचाकर सहारा में पैसा लगाया था। सोचा था कि उन पैसों से बेटी की शादी करूंगा। लगभग 4 लाख रुपये फंसे हुए हैं। पोर्टल लॉन्च होने के बाद लग रहा कि इस दिशा में कुछ काम शुरू हो रहा है। उम्मीद है कि अब जल्द ही पैसे मिल जाएंगे।  

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ज्यादातर इन्वेस्टर्स यूपी-बिहार से
सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो 2.76 करोड़ लोगों ने चार सहरा सहकारी समितियों में अपनी जमा पूंजी निवेश की थी। इस प्रोजेक्ट में 80,011 करोड़ रुपये शामिल थे। ज्यादातर इन्वेस्टर्स यूपी-बिहार से हैं। सरकारी आंकड़े देखें त चलता है कि चार सहकारी समितियों में 22,000 करोड़ रुपये का इनवेस्ट करने वाले लगभग 85 लाख लोग उत्तर प्रदेश से हैं। वहीं, विभिन्न मंचों पर दर्ज शिकायतों के मुताबिक बिहार के करीब 55 लाख लोगों मे करीब 15,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था.