सार

Earth Day 2023: पूरी दुनिया में हर साल 22 अप्रैल को वर्ल्ड अर्थ डे (Earth Day 2023) यानि विश्व पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मकसद दुनिया भर के लोगों को धरती मॉं का महत्व बताना होता है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव की तरफ…

Earth Day 2023: पूरी दुनिया में हर साल 22 अप्रैल को वर्ल्ड अर्थ डे (Earth Day 2023) यानि विश्व पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मकसद दुनिया भर के लोगों को धरती मॉं का महत्व बताना होता है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव की तरफ लोगों का ध्यान खींचा जाता है और धरती को एक बेहतर जगह बनाने के लिए जागरूक किया जाता है। पृथ्वी ग्रह पर रहने वाला हर व्यक्ति यदि इसको लेकर सतर्क हो जाए तो आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर कल मिल सकता है। यदि हम ऐसा नहीं करेंगे तो आने वाली पीढ़ियों को समस्याओं के भंवर का सामना करना पड़ सकता है। आपकी आज की सतर्कता आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान बन सकती है। आइए जानते हैं इसके बारे में।

1. इन्वेस्ट इन प्लेनेट

'इन्वेस्ट इन प्लेनेट' (Invest In Our Planet) यानि धरती में निवेश। यह इस साल पृथ्वी दिवस की थीम (Earth Day 2023 Theme) भी है, जो आम जन को संदेश देने के लिए बिल्कुल सटीक भी है। हम धरती में कुछ तरह के निवेश करके इसे बचा सकते हैं।

2. सिर्फ पौधे लगाना पर्याप्त नहीं

हम धरती को ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर बचा सकते हैं। कोशिश हो कि कं​क्रीट के बढ़ते जंगलों के अनुपात में हरित क्षेत्रों का आकार बढ़े। पेड़—पौधे ही जलवायु परिवर्तन के खिलाफ पहली पंक्ति के सैनिक होते हैं। यह प्रकृति में अहम भूमिका निभाने वाले कीट—पतंगो, पक्षियों आदि को भी रहने की जगह देते हैं। ए​क रिपोर्ट के मुताबिक पृथ्वी को जलवायु परिवर्तन के दुष्चक्र से बचाने के लिए अगले 5 वर्षों में 4 अरब पेड़ लगाने की जरुरत है। हर व्यक्ति को पेड़ पौधे लगाने का संकल्प लेना जरुरी है। इससे पर्यावरण में आक्सीजन की अधिकता तो होती ही है। साथ ही पेड़ मृदा क्षरण को भी रोकते हैं। लोगों को अपने कार्यस्थल और आस पास के लोगों से इसके महत्व के बारे में चर्चा करना चाहिए।पर सिर्फ पेड़ लगाना ही समस्या का एक समाधान नहीं है। हमें अन्य चीजों की तरफ भी ध्यान देना होगा।

3. प्लास्टिक का उपयोग घटाकर

पृथ्वी को बचाने के लिए प्लास्टिक का उपयोग घटाना जरुरी है। इसके बढ़ते उपयोग से प्रजनन क्षमता पर असर पड़ रहा है। लोगों को कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया भर में पिछले 100 वर्षों में 9 अरब टन से ज्यादा प्लास्टिक का प्रोडक्शन हुआ है। इसकी रिसाइक्लिंग बहुत जरुरी है। हमें इस पर ध्यान देना होगा। रोजमर्रा के इस्तेमाल से प्लास्टिक को बाहर करना होगा।

4. लोगों को पर्यावरण के बारे में शिक्षा जरुरी

आम जन को पर्यावरण के बारे में जागरुक करना भी जरुरी है। हालांकि इस साल एक डिजिटल जलवायु घड़ी भी लगाई जा रही है, जो लोगों को यह याद दिलाती रहेगी कि जलवायु परिवर्तन का खतरा कितनी दूर है। पर सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा। सरकारों द्वारा समय समय पर लोगों को इसके बारे में जागरुक करना जरुरी है।

5. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले मुद्दो को राजनीति की मेन स्ट्रीम में लाना

चाहे पेड़ पौधे लगाने की बता हो या ईंधन के इस्तेमाल की या फिर प्लास्टिक-केमिकल के अतिशय प्रयोग से बिगड़ी पारिस्थितिकी तंत्र का मामला। उन सभी मुद्दों को राजनीतिक की मुख्य धारा में लाना होगा। उन पर डिबेट होनी चाहिए। तभी उससे बचाव के रास्ते निकलेंगे और लोग सजग होंगे।

6. भूजल बचेगा तो धरती बचेगी

भूजल की बर्बादी भी धरती पर निवास करने वाले लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। लगातार भूजल का स्तर गिर रहा है। गर्मी के मौसम में कई जगहों पर पीने के पानी के संकट की खबरें आम होती हैं। पानी के बेवजह इस्तेमाल की आदत को हमें रोकना होगा। हर व्यक्ति को इस पर ध्यान देना होगा।

7. वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण और कचरों के पहाड़ पर लगाना होगा ब्रेक

धुआंधार शहरीकरण भी ग्लोबल वार्मिंग बढ़ा रहा है। वाहनों की बढ़ती संख्या से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। भारत में तो कार स्टेटस सिम्बल बन चुका है। लोग कम दूरी की यात्रा भी कार से ही करते हैं। इससे लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है। शहरों से निकलने वाले कचरों के पहाड़ प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हैं। उन कचरों की दुर्गंध कई किलोमीटर तक फैलती है। तकनीकी का सहारा लेकर हमें कचरों की रिसाइक्लिंग पर फोकस करना होगा।

8. सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की जरुरत

हमें सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की जरुरत है। बिजली के उत्पादन में सैकड़ों टन कोयले का उपयोग किया जाता है। इसको जलाने से भी वायु प्रदूषण बढ़ता है। सौर ऊर्जा का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं। घरों या कार्यालयों में लगे एसी से ग्रीनहाउस गैस निकलती हैं, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होती हैं। केमिकल का प्रयोग कम करना चाहिए। क्योंकि यह नालियों के रास्ते बहकर हमारी नदियों में जाता हैं। जिससे उनमें प्रदूषण बढ़ता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है।