सार
इंदौर. महारानी अहिल्याबाई का का 300वां जन्म वर्ष है। मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा- ‘’नारी शक्ति और सामर्थ को मध्य प्रदेश सरकार नमन करती है। मुझे इस बात की बेहद प्रसन्नता है कि हम लोकमाता देवी अहिल्याबाई जी का 300वां जन्मोत्सव मना रहे हैं। हमारी कैबिनेट मीटिंग में फैसला किया है कि दशहरा पर्व पर होने वाली विजयदशी शस्त्र पूजन लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर के नाम पर किया जाएगा। प्रदेशभर में इस थीम पर धूमधाम से आयोजन किए जाएंगे।'' सीएम ने कहा- देवी अहिल्या देवी के शासन स्थल रामेश्वर सहित प्रदेशभर के शास्त्रागार में 12 अक्टूबर 2024 को शस्त्र पूजा किया जाएगा इस दिन मप्र सरकार के सभी मंत्री अपने-अपने जिलों में रहकर यह पूजा करेंगे।''
लोकमाता देवी अहिल्याबाई महिला सशक्तिकरण की प्रतीक
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई महिला सशक्तिकरण की प्रतीक थी। लगभग 300 वर्ष पहले महिला सशक्तिकरण के लिए उनके द्वारा अपने शासनकाल में अनेक कार्य कराए गए। इस वर्ष विजयादशमी पर शस्त्र-पूजन कार्यक्रम लोकमाता देवी अहिल्या बाई के नाम पर किया जाएगा। देवी अहिल्याबाई के शासन स्थल महेश्वर में शस्त्र-पूजन कार्यक्रम में वे स्वयं हिस्सा लेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंत्रि-परिषद के सभी सदस्यों से अपने विधानसभा क्षेत्र और जिले के शस्त्र-पूजन कार्यक्रमों में शामिल होने का आग्रह किया है।
अहिल्या बाई ने सनातन संस्कृति की ध्वजा फहराई
मुगलों के काल में अहिल्याबाई जी ने न केवल मंदिरों और देवालयों के जीर्णोद्धार का कार्य किया, बल्कि पूरे देश में धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समृद्धि का संदेश फैलाया। बनारस से लेकर सोमनाथ और मानसरोवर तक, उनका योगदान अमिट है। लोकमाता अहिल्याबाई जी ने अपने अद्वितीय शासनकाल में सनातन-संस्कृति की ध्वजा गर्व के साथ फहराई। उन्होंने कहा कि आज हम बनारस में जाते हैं तो बाबा विश्वनाथ के धाम में पूजा करने के लिए जाने का मौका मिलता है वो मौका अगर किसी ने दिया तो अहिल्या माता ने ही दिया, उस मंदिर को देवस्थान बनाया तो ये अहिल्या माता की ही देन है। क्योंकि उस दौर में हमारा अपना देवस्थान ध्वस्त हो गया था।
महाराष्ट्र बेटी अहिल्या है मध्य प्रदेश की बहू
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच में अद्भुद संबंध है अहिल्याबाई जी आपके यहां की बेटी और हमारे यहां की तो बहू हैं। अहिल्या माता का जो रोल दिखाई दिया वह अद्भुद है। सभी नक्षत्रों में हमारे बीच सूर्य की भांति चमकने वाली अहिल्याबाई होल्कर का स्थान अलग है। मैं उनको बारंबार नमन करता हूं।
कौन थीं देवी अहिल्या बाई होल्कर
31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के छौंड़ी ग्राम में जन्मी महारानी अहिल्याबाई होलकर भारत के मालवा साम्राज्य की मराठा होलकर महारानी थीं। उनके पिता मंकोजी राव शिंदे, अपने गाव के पाटिल थे। बताया जाता है कि उनके पिता पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन उन्होंने बेटी को पढ़ा लिखाकर महारानी बनाया। अहिल्या इंदौर रियासत के सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव की पत्नी थीं।