सार
भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि यूके और जर्मनी की औद्योगिक निवेश संबंधी यात्रा आशा से कहीं अधिक सार्थक रही। उन्होंने कहा कि यूके और जर्मनी दौरे में लगभग 78 हजार करोड़ के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए। यात्रा का सबसे सुखद परिणाम यह रहा कि जर्मनी के मात्र डेढ़ दिन के प्रवास में 18 हजार करोड़ के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव आगामी फरवरी में होने जा रही ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में विदेशी निवेश को आमंत्रित करने के उद्देश्य से अपनी छह दिवसीय यूके और जर्मनी यात्रा से वापसी के उपरांत स्टेट हैंगर पर आयोजित स्वागत समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का गजहार पहनाकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री डॉ. जगदीश देवड़ा, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री विश्वास सारंग, जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसी सिलावट, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर, विधायक श्री रामेश्वर शर्मा, विधायक श्री भगवानदास सबनानी, विधायक श्री विष्णु खत्री, भोपाल महापौर श्रीमती मालती राय तथा अन्य जनप्रतिनिधियों ने पुष्प गुच्छ भेंट कर मुख्यमंत्री डॉ. यादव का स्वागत किया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारे प्रदेश में सभी प्रकार के संसाधन पर्याप्त उपलब्ध हैं। हमारे यहां योग्य और क्षमतावान युवा हैं। प्राकृतिक संसाधन प्रचूर मात्रा में हैं। इसी योग्यता के कारण मैं कह सकता हूं कि दुनिया में जहां रोजगार मिलेगा, उसे पाने वालों की दौड़ में प्रदेश के युवा शामिल होगा। मध्यप्रदेश रोजगार में भी सबसे आगे निकलेगा। युवाओं को उनकी दक्षता के अनुसार उनकी उड़ान को हम पंख देंगे। बड़े पैमाने पर आर्थिक रूप से सम्पन्न राज्य बनकर मध्यप्रदेश विकास के नए आयाम स्थापित करेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार और जर्मनी के शोधकर्ताओं के बीच एक महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया। एमओयू से सतपुड़ा क्षेत्र में पाए गए ट्राइएसिक युग के जीवाश्मों पर संयुक्त रूप से शोध किया जा सकेगा। संग्रहालय में एक बेटी ने बताया कि यहां देख रहे डायनासोर के जीवाश्म का संबंध मध्यप्रदेश से है। उसने बताया कि दस वर्ष तक होशंगाबाद इटारसी सतपुड़ा रिजर्व के जंगलों में शोध कार्य किया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कृषि पर आधारित उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए हम दूध उत्पादन को प्रोत्साहित कर रहे हैं। हमारे यहां दूध उत्पादन क्षमता 9 प्रतिशत है, हम इसे 20 प्रतिशत तक ले जाना चाहते हैं। इसके साथ पशुपालन को भी बढ़ावा दे रहे हैं। इसमें हम गौपालकों को पांच बछिया देंगे, वे गाय बनने पर दो गाय अपने पास रखेंगे और तीन गाय हम खरीदेंगे। जिसके विक्रय और दूध उत्पादन से होने वाली आय से उनकी आमदनी में वृद्धि होगी।