सार

बॉम्बे  हाईकोर्ट ने देह व्यापार और वुमेन ट्रैफिकिंग के एक मामले में आदेश दिया है कि जिस बेटी को पिता ने देह व्यापार में धकेल दिया हो उसे फिर से उसी के पास न भेजा जाए। ऐसे पिता के पास लड़की को भेजना सुरक्षित नहीं है। 

मुंबई। गर्ल ट्रैफिकिंग के मामले बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा ही अहम फैसला दिया है। देह व्यापार के लिए लड़कियों की खरीद फरोख्त के एक मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक आदेश दिया है कि पीड़ित लड़की को देह व्यापार से निकालने के बाद वापस उसी पिता के पास न भेजा जाए जिसने उसे इस धंधे में धकेला था। ऐसे पिता के पास लड़की को दोबारा भेजना उसके लिए खतरा उत्पन्न करना है। कोर्ट ने गर्ल ट्रैफिकिंग के मामलों पर नियंत्रण को लेकर सख्त निर्देश दिए। एनजीओ की ओर से सेशन कोर्ट के नतीजों के विरुद्ध अपील की मामले में जस्टिस अविनाश घारोटे ने सुनवाई की और स्टे लगा दिया था।

एनजीओ ने दी थी ये याचिका
एनजीओ की ओर से दी गई याचिका में बताया गया है कि 28 मार्च को एंटी मीरा भयान्दर वसई विरार एनजीओ की ओर से एक ऑपरेशन के दौरान इस लड़की का रेस्क्यू किया गया था। इसके बाद सत्र न्यायालय के दौरान मामले की सुनवाई के बाद पीड़ित लड़की को उसके घर, उसके पिता के पास भेजने का आदेश दिया गया था। इस पर एनजीओ ने हाईकोर्ट में अपील की थी। यह कहा था कि लड़की की जो हालत है वह उसके पिता के कारण ही है। ऐसे में दोबार लड़की को उसी जगह भेजना ठीक नहीं जहां उसका पिता ही सबसे बड़ा दुष्मन हो। 

1 अप्रैल को दी थी एनजीओ को सिक्योरिटी
 लड़की के रेस्क्यू के बाद इस मामले में एक अप्रैल को उसकी सिक्योरिटी एनजीओ को सौंप दी गई थी। निचली आदालत ने सुनवाई के दौरान लड़की की सुपुर्दगी उसके पिता को दे दी थी। इसी पर स्टे लेने के लिए एनजीओ  ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।