- Home
- States
- Maharastra
- मास्टर स्ट्रोक क्यों माना जा रहा बारामती के 'साहेब' का NCP चीफ से इस्तीफा, राजनीति के चाणक्य शरद पवार का नया गेम क्या है?
मास्टर स्ट्रोक क्यों माना जा रहा बारामती के 'साहेब' का NCP चीफ से इस्तीफा, राजनीति के चाणक्य शरद पवार का नया गेम क्या है?
- FB
- TW
- Linkdin
मुंबई. 27 साल की उम्र में MLA बने शरद पवार ने नेशनल कांग्रेस पार्टी(NCP) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर महाराष्ट्र सहित केंद्र की राजनीति में एक 'मास्टर स्ट्रोक' खेला है। 2 मई को मुंबई के वाईबी चव्हाण सेंटर में अपनी पॉलिटिकल बायोग्राफी 'लोक भूलभुलैया संगति' के विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने यह ऐलान किया। उनके इस फैसले से उनके गृहक्षेत्र पुणे जिले के बारामती शहर में सन्नाटा सा पसर गया है।साथ में देखें कुछ पुरानी तस्वीरें
82 साल के शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होकर NCP की स्थापना की थी। बारामती के लोग मानते हैं कि शरद पवार ने अगर यह फैसला लिया है, तो कुछ बड़ी बात होगी। बता दें कि अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। 2 मई को शरद पवार ने NCP के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इस मौके पर उन्होंने क्लियर किया था-’भले ही मैं अध्यक्ष पद से हट रहा हूं, लेकिन सार्वजनिक-राजनीतिक जीवन से रिटायर नहीं हो रहा हूं।’
इससे पहले शरद पवार ने बयान दिया था कि कि अब तवे पर रोटी पलटने का वक्त आ गया है, अगर सही समय पर अगर रोटी को नहीं पलटा जाए तो वह जल जाती है।
शरद पवार के NCP चीफ के पद से इस्तीफे की खबर जैसे ही फैली, कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करके उन्हें मनाने की कोशिश की। वे रोने तक लगे।
बारामतजी में एजुकेशन इंस्टीयूट चलाने वाले जवाहर शाह कहते हैं-पवार ने अपने महत्वाकांक्षी भतीजे अजीत पवार के साथ नाटकीय कदम पर चर्चा की होगी, जो पिछले कुछ हफ्तों से गहन राजनीतिक अटकलों के केंद्र में हैं।
35 साल से शरद पवार का राजनीति जीवन देख रहे मदन देवकाटे ने कहा-"मेरे पास जो जानकारी है, उसके अनुसार पवार साहब ने सुप्रिया ताई (उनकी बेटी सुप्रिया सुले, बारामती से वर्तमान सांसद) और अजीत दादा के परामर्श से यह निर्णय लिया है।"
इस पूरे मामले में अजीत पवार को खलनायक के तौर पर भी देखा जा रहा है। क्योंकि कुछ समय पहले चर्चा चली थीं कि वे कई विधायकों के साथ भाजपा में जा सकते हैं।
NCP की स्थापना के समय से ही शरद पवार इसके अध्यक्ष बने हुए थे। यानी 64 साल के शरद पवार 24 साल से पार्टी के अध्यक्ष थे।
शरद पवार अपनी मां शारदा बाई की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। 2017 में अपनी संस्मरणों की बुक में उन्होंने अपने राजनीति पर्दापण की जिक्र किया था।
शरद पवार ने अपनी किताब में जिक्र किया था कि 1938 में कांग्रेस कांग्रेस के टिकट पर उनकी मां शारदा बाई ने पुणे लोकल बोर्ड में महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ा था। वे14 साल तक इसी सीट से जीतती रहीं।