सार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य को एक साल में गरीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए डिजिटल तकनीक का सहारा लिया जा रहा है।

लखनऊ, 6 अक्टूबर। अगले एक साल में उत्तर प्रदेश को देश का पहला जीरो पावर्टी राज्य बनाने का संकल्प ले चुके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरी प्रक्रिया को त्वरित गति से पूरा करने के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग पर जोर दिया है। जीरो पावर्टी पोर्टल और विभिन्न एप के जरिए न सिर्फ रूरल एरियाज में तेजी से निर्धनतम परिवारों का चिन्हीकरण और उनका स्थलीय सत्यापन पूरा किया जा सकेगा, बल्कि विभिन्न विभागों की ओर से संचालित योजनाओं का निर्धनतम परिवारों को तेजी से वितरण भी संभव हो सकेगा। इसके साथ ही, पूरी प्रक्रिया की जिले स्तर से लेकर शासन स्तर तक मॉनीटरिंग भी आसान होगी। जीरो पावर्टी अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए शासन की ओर से डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग और डिजिटल पोर्टल व मोबाइल एप पर कार्य करने संबंधी दिशा निर्देश भी जारी किए जा चुके हैं।

नोडल पोर्टल से जुड़े रहेंगे सभी विभाग

 अभियान के तहत http://zero-poverty.in नोडल पोर्टल की तरह कार्य करेगा, जबकि सभी विभागों या स्वायत्त इकाइयों के लिए पोर्टल में उनके विभाग या इकाई के नाम प्रीफिक्स में उल्लेख होगा, जैसे ग्राम्य विकास विभाग के लिए पोर्टल (सब डोमेन) का नाम स्वतः http://rd.zero-poverty.in या बेसिक एजुकेशन विभाग के लिए पोर्टल (सब डोमेन) का नाम http://basic-education.zero-poverty.in होगा। चूंकि सभी विभागों का नाम की सूची पोर्टल के मेन्यू में स्पष्ट दिखाई देगी, इसलिए किसी भी विभाग के पोर्टल के नाम पर भ्रम या असुविधा नहीं होगी।

मॉप-अप मोबाइल एप से होगी निर्धनतम परिवारों की पहचान डिजिटल टेक्नोलॉजी में मोबाइल एप का उपयोग ऐसे यूजर के लिए है, जिन्हें कंप्यूटर युक्त कार्यस्थल की सुविधा नहीं प्राप्त है या फिर जिनका कार्य अधिकतर फील्ड में है। मॉप-अप मोबाइल एप का प्रयोग निर्धनतम परिवारों की पहचान करने के लिए किया जाना है। ग्राम स्तरीय कर्मचारी तथा ग्राम स्तरीय समिति के सदस्य/पदाधिकारी इस एप का उपयोग करेंगे। ग्राम स्तरीय 5 सदस्यीय समिति को ग्राम स्तरीय कर्मचारियों द्वारा पहचान किए गए निर्धनतम परिवारों के रिकॉर्ड उनके मोबाइल के डैशबोर्ड में प्रदर्शित होंगे। वे उनका स्थलीय सत्यापन करेंगे तथा एप पर ही अपना अभिमत व्यक्त करेंगे। इस एप की मदद से ग्राम स्तरीय कर्मचारियों की टीम 30 दिन के अंदर अपने ग्राम पंचायत में निवास कर रहे सभी (10-25) निर्धनतम परिवारों की पहचान कर सकेगी।

रिश्ता एप बताएगा योजना के वितरण की स्थिति

 रिश्ता मोबाइल एप आजीविका मिशन, ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित मोबाइल एप है, जिस पर बीसी सखी के सभी प्रक्रिया व प्रगति संबंधी गतिविधि व टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म पर बैंकिंग ट्रांजेक्शन के विवरण/रिपोर्ट उपलब्ध होती है। रिश्ता एप के माध्यम से मिशन के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चिह्नित किए गए निर्धनतम परिवारों तथा उनके द्वारा डीबीटी की राशि व भुगतान से जुड़े बैंकिंग सेवाओं की सूचना मिशन, ग्राम्य विकास विभाग तथा शासन को उपलब्ध होगी। सभी विभागों से संबंधित डीबीटी भुगतान की लाभार्थियों तक पहुंच की सूचना बीसी सखी द्वारा रिश्ता एप के माध्यम से रियल टाइम पर उनके पोर्टल के कंसोल पर उपलब्ध होगी।

एसएमएस लिंक के माध्यम से डाउनलोड होगा एप 

ग्राम स्तरीय कर्मचारी/कैडर द्वारा भरे गए निर्धनतम परिवारों का विवरण ग्राम स्तरीय स्थानीय समिति के सदस्य मोबाइल डैशबोर्ड पर देखेंगे और उनका अलग से स्थलीय सत्यापन करेंगे तथा चिह्नित परिवार के निर्धनता के आधार पर मोबाइल एप पर ही अपना अभिमत स्पष्ट करेंगे। सत्यापित किए गए परिवारों का कंप्यूटर आधारित रेटिंग के बाद उनकी विस्तृत सूचना जीरो पावर्टी पोर्टल पर उत्तर प्रदेश शासन की सभी योजनाओं से संदर्भित विभाग के वेब कंसोल पर प्रदर्शित की जाएगी, ताकि ऐसे सभी परिवारों के सापेक्ष विभाग द्वारा दी जा रही योजनाओं के लाभ त्वरित गति से कार्यान्वित हों।

सीएम हेल्पलाइन से मिलेंगे अलर्ट और नोटिफिकेशन

सीएम हेल्पलाइन से मिलेंगे अलर्ट और नोटिफिकेशन सभी संभावित निर्धनतम परिवारों के अलावा सभी ग्राम स्तरीय कर्मचारियों तथा ग्राम स्तरीय समिति के सदस्यों का डेटाबेस पोर्टल पर उपलब्ध होगा। ऐसे सभी पंजीकृत यूजर्स को सीएम हेल्पलाइन द्वारा ना सिर्फ वेब आधारित कॉल किया जाना संभव होगा, बल्कि मॉप-अप मोबाइल एप के माध्यम से उन्हें आवश्यकतानुसार अलर्ट, नोटिफिकेशन तथा अपडेट के संदेश भी भेजा जाना संभव होगा। भेजे गए सभी अलर्ट्स/नोटिफिकेशन या अपडेट मॉप-अप के रिकॉर्ड्स में यूजर के मोबाइल पर रिकॉर्ड के तौर पर उपलब्ध होंगे, ताकि आवश्यकतानुसार उसका संदर्भ लिया जा सके। मॉप-अप मोबाइल एप पर वॉइस मैसेज की व्यवस्था भी की जाएगी, ताकि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के किसी सुदूर स्थान से भी कोई अपनी बात शासन तक पहुंचा सके।