सार
बरेली (Uttar Pradesh Latest News) : 400 से अधिक छात्रों को नकली मेडिकल डिग्री (MBBS Bill) प्रमाण पत्र देकर उनसे 3 करोड़ से अधिक की वसूली करने वाले एक नकली डॉक्टर को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उत्तर प्रदेश के बरेली में यह घटना सामने आई है। आरोपी की पहचान विजय शर्मा के रूप में हुई है.
इस मामले की जानकारी देते हुए एसपी मनुज पारीक ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया कि बरेली के खुशरो मेमोरियल पीजी कॉलेज ने विभिन्न कॉलेजों के 400 से अधिक छात्रों को नकली एमबीबीएस सर्टिफिकेट जारी किए थे। इस कॉलेज के प्रशासन और मुख्य आरोपी विजय शर्मा ने इस धंधे से कुल 3.7 करोड़ रुपये कमाए हैं। लेकिन छात्रों को तब तक इस फ्रॉड के बारे में पता नहीं चला जब तक उन्होंने सेवा शुरू करने और नौकरी के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं किया। मुख्य आरोपी विजय शर्मा ने खुद को मेडिसिन और सर्जरी में बैचलर डिग्री धारक बताया था, लेकिन पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर उसका असली रंग सामने आ गया.
पिछले हफ्ते ही इस मामले में पुलिस ने कॉलेज के मालिक समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया था। वहीं, कॉलेज को अब प्रशासन ने बंद कर दिया है। इधर मुख्य आरोपी शर्मा फरार था, लेकिन कल उसे गिरफ्तार कर लिया गया और उसने पूछताछ के दौरान इस बड़े फर्जीवाड़े में शामिल होने और नकली मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने और बेचने की बात कबूल कर ली है.
उसने बताया कि उसने और उसके साथियों ने कानपुर, रुड़की, हिमाचल प्रदेश और ओडिशा विश्वविद्यालय से नकली डिग्रियां हासिल की थीं। इस नकली सर्टिफिकेट रैकेट से मिले पैसों से उसने काफी संपत्ति बनाई है। विजय शर्मा के खिलाफ पहले भी धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले दर्ज हैं। इससे पहले वह नेचुरोपैथी और योग विज्ञान में कोर्स कर चुका था और उसने एक छोटी सी कंसल्टेंसी खोली थी, जहाँ वह स्नातकों को पैसे लेकर नकली डिग्रियां बेचता था.
इससे पहले महाराष्ट्र के नालासोपारा में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। 12वीं क्लास के बाद स्कूल छोड़कर नकली डॉक्टर बनने वाले एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह बिना किसी डिग्री के एक दशक से भी ज्यादा समय से मरीजों को दवा दे रहा था। इस नकली डॉक्टर की पहचान तिरुमल तेली के रूप में हुई थी। वसई विरार के महानगर पालिका अधिकारियों द्वारा उसके क्लीनिक पर छापा मारने के बाद मामला सामने आया था। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।