सार

यूपी डीजीपी की ओर से मातहतों को सख्त निर्देश जारी किया गया है। कहा गया है कि महिलाओं को पूछताछ के लिए थाने न बुलाया जाए। इसी के साथ बेवजह गिरफ्तारी न की जाए।

लखनऊ: बेवजह गिरफ्तारी और महिलाओं, बुजुर्गों, नाबालिगों को थाने बुलाकर पूछताछ करने को लेकर शासन का सख्त रुख नजर आ रहा है। इसको लेकर डीजीपी डीएस चौहान ओर से मातहतों को निर्देशित भी किया गया है। उन्होंने कहा है कि जब तक किसी भी मामले में पुख्ता साक्ष्य न हो तब तक संदेह के आधार पर किसी की भी गिरफ्तारी न की जाए। यदि इस नियम का पालन नहीं होता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

निवास स्थान पर जाकर की जाए पूछताछ

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 7 साल से कम की सजा वाले मामलों में होनों वाली गिफ्तारी, पूछताछ के नोटिस आदि चीजों को लेकर राज्यों की पुलिस को निर्देश जारी किया था। इसी के साथ इसका अनिवार्य रूप से पलाने कराने को भी कहा था। निर्देश में बताया गया था कि महिलाओं, नाबालिगों, बुजुर्गों एवं मानसिक या शारीरिक रूप से निशक्त लोगों को उनके निवास स्थान के अतिरिक्त कहीं पर भी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जाएगा। यदि जांच में संज्ञेय अपराध प्रकट नहीं होता है तो ऐसे व्यक्ति से मजिस्ट्रेट के न्यायालय में हाजिर होने की अपेक्षा भी नहीं की जाएगी।

महिलाओं से पूछताछ में महिला पुलिसकर्मी की मौजूदगी अनिवार्य

इसी के साथ महिलाओं को पूछताछ के लिए थाने पर नहीं बुलाया जाएगा। पूछताछ उस जगह पर होगी जहां महिला रहती है। इस दौरान किसी महिला पुलिसकर्मी की उपस्थिति अनिवार्य होगी। बच्चों, बुजुर्गों, दिव्यांगों से उनके परिवार के लोगों की मौजूदगी, संरक्षकों अथवा किशोर कल्याण अधिकारियों की मौजूदगी में पूछताछ होगी। निर्देश में कहा गया कि किसी भी व्यक्ति को यदि धारा 41 के तहत नोटिस देकर बुलाया जाता है तो वह जांच अधिकारी के सामने पेश होने पर पावती के लिए अनुरोध कर सकता है। इस बीच यदि उसे पुलिस थाने की जगह किसी अन्य जगह पर बुलाया जाता है तो वहां पर वह स्वतंत्र साक्षी होना चाहिए।

लखनऊ: फ्लाईओवर से 30 फीट नीचे गिरी बेकाबू SUV, दर्दनाक हादसे में 3 की मौत और 1 गंभीर रूप से घायल